स्त्री यौन स्ट्रोक बेहद मुश्किल पोजीशन है। यह वीरांगना महिलाओं का आसन है, इसलिए साधारण महिलाओं को इस आसन को न करने की सलाह दी जाती है। इस पोजीशन को वही स्त्री हैंडल कर सकती है, जो कद-काठी से मजबूत, वीरांगना जैसी व सेक्स के प्रति अधिक उत्साही हो। इस आसन में योनि का लिंग में प्रवेश आसान नहीं होता, और प्रवेश के बाद भी तीव्र घर्षण से दर्द का अहसास होता है। इस पोजीशन में स्त्रियों की स्थिति ऐसी होती है कि उनके मुंह से अपने आप सिसकारियां, चिल्लाहट, आह-ऊह की आवाज निकलती रहती है। संभोग समाप्त होने पर उसे एक थकान भरी मस्ती हासिल होती है।
इस आसन में पूरे सेक्सुअल ड्राइव का नियंत्रण स्त्री के पास होता है। यही नहीं, संभोग के समय स्त्री को हर वक्त यह अहसासस होता रहता है कि वह पुरुष पर पूरी तरह से नियंत्रण कर सकती है। इस आसन में महिला ही पुरुष को भोगती है। आसन के दौरान उसके गठीले शरीर की गति उसके पुरुष पार्टनर को कामुक बनाता है, लेकिन वह संभोग संचालन में असहाय होता है और स्त्री के सुख से सुख पाता है।
स्त्री यौन स्ट्रोक है सबसे आसन तरीका
इस आसन में पुरुष पीठ के बल लेटता है। इसके बाद वह अपने पांव उपर उठा लेता है और घुटनों से उसे मोड़ लेता है। इसके पश्चात महिला पुरुष के कूल्हों के सहारे अपने कूल्हे को टिकाते हुए अपनी योनि को उसके लिंग में प्रवेश कराती है। इसमें योनि में लिंग का प्रवेश थोड़ा तिरछा होता है, जिसकी वजह से घर्षण तीव्र होता है और उसकी वजह से दर्द भी होता है। बार-बार के अभ्यास और योनि के ढीली होने के बाद इस आसन में आसानी होने लगती है।
योनि के लिंग में प्रवेश करने के उपरांत पुरुष अपने पैरों से स्त्री के कांख के पास से उसे सहारा देता है, जिससे झूलने की पोजीशन बन जाती है। इससे स्त्री को स्ट्रोक लगाने में सुविधा मिलती है। इस दौरान महिला भी अपने हाथों को पीछे कर पांवों को पकड़ कर संतुलन बनाते की कोशिश करती है। इस आसन को अधिक आनंददायक, मजेदार व मस्त बनाने के लिए पुरुष अपने कुल्हे के नीचे तकिया लगा सकता है। इससे योनि में लिंग के प्रवेश में परेशानी कम होती है।