स्वास्थ विशेषज्ञों ने कहा- कोरोना से उबरने के बाद नई परेशानियों से जूझ रहे लोग, सांस की समस्या सबसे ज्यादा

कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को श्वसन संबंधी समस्याएं सबसे ज्यादा परेशान रह रही हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन कोरोना मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, उनमें से कई लोगों को सांस की समस्या के चलते 14 दिनों के भीतर दोबारा अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसका अर्थ है कि जो लोग पहले से ही श्वसन तंत्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, यदि वे कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं तो उन्हें ठीक होने के बाद भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है।

उच्च रक्तचाप का भी है खतरा

अमेरिका के माउंट सिनाई अस्पताल के इकन स्कूल ऑफ मेडिसिन के गिरीश नादकर्णी और अनुराधा लाल ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद दोबारा भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में परेशानी महसूस हो रही थी। इन रोगियों को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) सहित अन्य बीमारियां होने की संभावना भी अधिक थी।

समस्याएं धीरे-धीरे सामने आती हैं

नादकर्णी ने कहा, ‘इस अध्ययन से पता चलता है कि कई मरीजों में अस्पताल में भर्ती होने का मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है और उनकी समस्याएं धीरे-धीरे सामने आती हैं। इससे हमें कोरोना मरीजों में दीर्घकालीन प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिल सकती है और उसके निष्कर्षो के आधार पर मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है।’

आपातकालीन सेवाओं की भी पड़ रही है जरूरत

शोधकर्ताओं ने अस्पताल में दोबारा भर्ती हुए 100 मरीजों पर किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने बताया कि इनमें 56 मरीज ऐसे थे जिन्हें चार-पांच दिनों में ही आपातकालीन सेवाओं की जरूरत पड़ गई थी और आधे मरीजों को श्वसन संबंधी परेशानियों से घेर रखा था। शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि ज्यादातर मरीज ऐसे थे जिन्हें पूर्व की भांति गहन देखभाल की जरूरत नहीं थी। लेकिन यह बात चिंताजनक है कि एक बार संक्रमण से मुक्त होने के बाद लोगों को सांस लेने में दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।

 

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