बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी महिला के खिलाफ ईमेल या सोशल मीडिया पर लिखित शब्द जो किसी महिला की गरिमा को कम कर सकते हैं, वह एक अपराध है और इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 509 (महिला का अपमान) के तहत किसी के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने एक पुरुष के खिलाफ मामला रद्द करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 509 (एक महिला की विनम्रता का अपमान) के तहत उसके खिलाफ दर्ज 2009 के मामले को रद्द करने की मांग की गई थी। उस व्यक्ति ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता को आपत्तिजनक और अपमानजनक ईमेल लिखे थे, जो दक्षिण मुंबई की उसी सोसायटी में रहती है, जहां वह रहता है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, ईमेल में उसके चरित्र पर टिप्पणी की गई थी और ईमेल सोसायटी के कई अन्य सदस्यों को भी भेजा गया था।
इस मामले में आरोपी व्यक्ति ने एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि धारा 509 के अनुसार, ‘उच्चारण’ शब्द का अर्थ केवल ‘बोले गए शब्द’ होगा, न कि ईमेल या सोशल मीडिया पोस्ट आदि में ‘लिखे गए’ शब्दों से होगा। हालांकि, हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि अदालतों को व्याख्या का उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।