सॉफ्टेवयर जाएंट Wipro ने पूरे किए 75 साल

29 दिसंबर, 1945 को मुंबई के एक व्यवसायी, मुहम्मद हुसैन हशम प्रेमजी, ने महाराष्ट्र में जलगांव जिले में स्थित अमलनेर में एक तेल मिल खरीदने के बाद उसे पश्चिमी भारत वनस्पति उत्पाद लिमिटेड पंजीकृत किया. उस दौरान किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि एक कंपनी जो वनस्पति और परिष्कृत तेल बनाती है वो आगे चलकर एक सॉफ्टेवयर जाएंट बन जाएगी. ब्रिटिश राज से आजाद भारत के दूसरे दशक में प्रवेश करने तक, कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था. 1966 में हाशिम प्रेमजी अचानक गुजर गये तो पूरे कारोबार का भार संभालने उनके बेटे, अजीम प्रेमजी को बुलाया गया.

करीब डेढ़ दशक तक तेल के कारोबार को चलाने के बाद उनका ध्यान टेक्नॉलजी इंडस्ट्री की ओर गया. 1980 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया. उन्होंने टेक्नॉलजी के क्षेत्र में विस्तार शुरू किया. आईबीएम के भारत से बाहर जाने के बाद वह पर्सनल कंप्यूटर्स बनाने लगे. इसके साथ ही सॉफ्टवेयर सर्विसेज की बिक्री भी शुरू की. 1989 में उन्होंने अमेरिकी कंपनी जीई के साथ मिलकर मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स बनाने के लिए जॉइट वेंचर स्थापित किया.

90 के दशक में Wipro ने IT सेक्‍टर में अपनी पहचान बनानी शुरू की. 1994-95 में Wipro की पांच यूनिट्स को ISO 9001 सर्टिफिकेशन मिला. साल 2000 में Wipro न्‍यूयॉर्क स्‍टॉक एक्‍सचेंज में लिस्‍ट हुई. 1997-2002 के बीच Wipro पैसा बनाने के मामले में सबसे आगे रही.

फरवरी 2002 में Wipro भारत की पहली ऐसी सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी एंड सर्विसेज कंपनी बनी, जिसे ISO 14001 सर्टिफिकेट मिला. 2004 में कंपनी ने एक अरब डॉलर से ज्‍यादा का पूंजीकरण हासिल किया. इसी दौरान Wipro ने ऊर्जा के क्षेत्र में भी उतने का फैसला किया. 2005 में अजीम प्रेमजी को उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से अलंकृत किया गया था. 2011 में उन्‍हें पद्म विभूषण मिला जो कि देश का दूसरा सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान है.

अजीम प्रेमजी को संपत्ति से कोई लगाव नहीं. वह पहले भारतीय हैं जिन्‍होंने बिल गेट्स और वारेन बफेट द्वारा शुरू की गई The Giving Pledge ली है. 2013 में उन्‍होंने वादा किया था कि वह कम से कम अपनी आधी संपत्ति दान कर देंगे. उसी साल उन्‍होंने बताया था कि वह अपनी संपत्ति का 25 फीसदी से ज्‍यादा दान कर चुके हैं. जुलाई 2015 में उन्‍होंने Wipro में अपनी 18% हिस्‍सेदारी छोड़ दी थी. उन्‍होंने मई 2019 के अंत तक अजीम प्रेमजी भारत की दूसरी सबसे रईस शख्सियत हैं.

विप्रो में प्रेमजी परिवार की 74 पर्सेंट हिस्सेदारी है. पिछले वर्ष विप्रो के सॉफ्टवेयर बिजनेस का रेवेन्यू लगभग 8.5 अरब डॉलर रहा. कंज्यूमर गुड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग और मेडिकल डिवाइसेज के बिजनेस से जुड़ी विप्रो एंटरप्राइसेज ने 2 अरब डॉलर का टर्नओवर दर्ज किया था.

अजीम प्रेमजी को TIME मैगजीन दो बार (2011, 2004) दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्‍यक्तियों की सूची में शामिल कर चुकी है. उन्‍हें ‘भारतीय आईटी इंडस्‍ट्री का सम्राट’ कहकर पुकारा जाता रहा है.

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