सेतुसमुद्रम के लिए रामसेतु नहीं तोड़ेगी सरकार, SC में कहा- देशहित को ध्यान में रखकर विकल्प तलाशेंगे

सेतुसमुद्रम के लिए रामसेतु नहीं तोड़ेगी सरकार, SC में कहा- देशहित को ध्यान में रखकर विकल्प तलाशेंगे

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बताया कि देशहित को ध्यान में रखते हुए पौराणिक रामसेतु को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। सरकार सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए पहले तय किए गए एलाइंमेंट का विकल्प तलाश करेगी। सेतुसमुद्रम के लिए रामसेतु नहीं तोड़ेगी सरकार, SC में कहा- देशहित को ध्यान में रखकर विकल्प तलाशेंगे

केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया। इसमें उसने कहा है कि एलाइंमेंट (मार्गरेखा) के सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसानदेह होने के कारण तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से और श्रीलंका के बीच स्थित रामसेतु को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी।

सरकार ने यह हलफनामा भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर दाखिल किया है। पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्ष रखने के लिए आखिरी मौका दिया था।

सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि चूंकि अब मंत्रालय की ओर से हलफनामा दाखिल किया जा चुका है, ऐसे में स्वामी की याचिका का निपटारा कर देना चाहिए। भाजपा नेता ने सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। 

याचिका में अपील की गई थी कि केंद्र को यह निर्देश दिया जाए कि वह इस परियोजना के लिए पौराणिक रामसेतु को न छुए। इस परियोजना का राजनीतिक दलों, पर्यावरणविद् समेत कई हिंदू संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं।

 

राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की अपील करेंगे स्वामी 

सरकार के हलफनामा दाखिल करने के बाद भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करवाने की अपील करेंगे। 

क्या है परियोजना

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय में वर्ष 2005 में सेतुसमुद्रम परियोजना का एलान हुआ था। उस वक्त इसकी लागत करीब 2500 करोड़ थी जोकि अब बढ़कर 4000 करोड़ हो गई है। इसके परियोजना के तहत बड़े जहाजों के परिवहन के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे।

इनके बन जाने से जहाजों के आने-जाने में लगने वाले समय में 30 घंटे की कमी आएगी। इन चैनल में से एक के राम सेतु से भी गुजरना है। इसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है। श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने से जहाजों को लंबे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।

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