श्रीकृष्ण के अनुसार सूर्यदेव एकमात्र प्रत्यक्ष देवता हैं यानी सूर्यदेव को सीधे देखा जा सकता है। जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से सूर्य की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं सूर्य भगवान पूरी करते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है।

इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से त्वचा की चमक बढ़ती है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। इस परंपरा के संबंध में भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद है। सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस संवाद में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य देव की महिमा बताई है।
श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि स्वयं उन्होंने भी सूर्य की पूजा की है और इसी के प्रभाव के उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।
अगर आप भी हर रोज सूर्य की पूजा करेंगे तो आपको भी शुभ फल मिल सकते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार जानिए श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए सूर्य पूजा के कुछ सरल उपाय…
सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरे, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना से करें।
सूर्य मंत्र – ऊँ खखोल्काय स्वाहा
इस प्रकार सूर्य की आराधना करने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
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सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इससे कुंडली में सूर्य के दोष दूर हो सकते हैं।
सूर्य के निमित्त व्रत करें। एक समय फलाहार करें और सूर्यदेव का पूजन करें।
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