इनफोसिस के संस्थापक चयेरमैन एन आर नारायण मूर्ति ने लागत में कटौती के उपाय के तौर पर कर्मचारियों को नौकरी से हटाये जाने पर आज दुख जताया. मूर्ति ने आईटी क्षेत्र में जा रही नौकरियों के सवाल पर न्यूज एजंसी को ई-मेल के जरिए कहा, … यह काफी दुख पहुंचाने वाला है.
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में चुनौतीपूर्ण परिवेश के बीच इनफोसिस ने घोषणा की है कि वह अर्धवार्षिक कार्य प्रदर्शन की समीक्षा करते हुये अपने मध्य और वरिष्ठ स्तर के सैकड़ों कर्मचारियों को पिंक स्लिप पकड़ा सकता है. इनफोसिस में यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब उसके समकक्ष दूसरी कंपनियां विप्रो और काग्निजेंट भी अपनी लागत को नियंत्रित करने के लिये ऐसे ही कदम उठा रही हैं.
कार्यकारी सर्चइंजन कंपनी हेड हंटर इंडिया के अनुसार अगले तीन साल तक सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सालाना 1.75 लाख से दो लाख के बीच रोजगार के अवसर में कटौती की जा सकती है. नई प्रौद्योगिकी अपनाने और उसकी तैयारी के चलते कंपनियां इस तरह के कदम उठा रही हैं. मैंकजीं एण्ड कंपनी की नॉस्कॉम इंडिया लीडरशिप फोरम में सौंपी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सेवा कंपनियों में अगले तीन से चार साल के दौरान करीब आधे कर्मचारी अप्रासंगिक हो जायेंगे. सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी कंपनियां देश में सबसे बड़ी रोजगार प्रदाता रही हैं.
बहरहाल, कंपनियों ने चेतावनी दी है कि विभिन्न प्रक्रियाओं में आटोमेशन बढ़ने से आने वाले वर्षों में रोजगार में कमी आ सकती है. एक तरफ जहां ठेके पर काम कराने यानी आटोसोर्सिंग नमूने से भारत वैश्विक नक्शे पर उभरा है वहीं दूसरी तरफ दुनिया के विभिन्न देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति से भी 140 अरब डालर के भारत के आईटी उद्योग के समक्ष चुनौती खड़ी हो रही है.
भारतीय कंपनियां अब विदेशों में काम के लिये कार्य वीजा पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं और इसके बदले विदेशों में स्थानीय लोगों को ही काम पर रख रहीं हैं ताकि उनके ग्राहक बने रहे. हालांकि, इससे उनके मार्जिन पर असर पड़ सकता है.