दिल्ली में कांग्रेस की सत्ता वापसी की जद्दोजहद आप उसके सिर्फ दो फैसलों से समझ सकते हैं. पहला 81 साल की हो चुकीं शीला दीक्षित के कंधों पर प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी डालना.
दूसरा जुलाई 2019 में उनकी मौत के बाद अक्टूबर महीने में यह जिम्मेदारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुभाष चोपड़ा को सौंपना. सुभाष चोपाड़ भी 72 की उम्र पार कर चुके हैं फिर भी कांग्रेस ने उन्हीं पर भरोसा जताया है.
कालकाजी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे सुभाष चोपड़ा को जब यह जिम्मेदारी सौंपी गई तो लोगों को कुछ हैरानी तो जरूर हुई. लेकिन जिन्होंने भी सुभाष का राजनीतिक सफर करीब से देखा है उन्हें लगा फिलहाल कांग्रेस के लिए ऐसे ही चेहरे की जरूरत थी जो पार्टी को एकजुट कर सके.
आपको बता दें कि सुभाष चोपड़ा ने अपने छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रखा था. 1968 में उन्होंने राजनीति शुरू की थी. 1968 में चोपड़ा पार्षद का चुनाव भी जीत चुके हैं. 1970-71 के सत्र में वह दिल्ली छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाल चुके हैं.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सुभाष चोपड़ा तमाम पदों पर काम कर चुके हैं. चोपड़ा डीपीसीसी के सचिव, कोषाध्यक्ष, महासचिव और उपाध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं