छात्रों की सहायता और फायदे के लिए काम करने वाले एक संगठन के दो सदस्यों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि नीट के पेपर लीक की खबर ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया है क्योंकि कई मेधावी छात्रों ने भविष्य में डॉक्टर बनने का अवसर खो दिया है।
मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम) परीक्षा में गड़बड़ी के लग रहे आरोपों पर सियासी बहस तेज हो चुकी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर नीट-यूजी 2024 को रद करने की मांग की गई है।
याचिका में पांच मई को आयोजित नीट में गलत तरीके अपनाने और धोखाधड़ी की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश देने और पेपर लीक की जांच पूरी होने तक काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग की गई है।
छात्रों को न्याय दिलाने के लिए दायर की गई याचिका: याचिकाकर्ता
छात्रों की सहायता और फायदे के लिए काम करने वाले एक संगठन के दो सदस्यों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि नीट के पेपर लीक की खबर ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया है क्योंकि कई मेधावी छात्रों ने भविष्य में डॉक्टर बनने का अवसर खो दिया है।
याचिका में कहा गया है,”याचिकाकर्ता केवल पीड़ित छात्रों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से वर्तमान याचिका दायर कर रहे हैं, जिन्होंने अपने-अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से अपना पूरा समय, गाढ़ी कमाई और ऊर्जा नीट, 2024 की तैयारी में लगाई थी, लेकिन उन्हें समान अवसर नहीं दिया गया।”
याचिकाकर्ता ने परीक्षा में मिले मार्क्स पर उठाए सवाल
याचिका के अनुसार, कुछ छात्रों ने 718 और 719 अंक हासिल किए हैं, जो सांख्यिकीय रूप से संभव नहीं है। परीक्षा का पूरा संचालन विवेकहीन एवं मनमाने तरीके और छात्रों को पिछले दरवाजे से प्रवेश देने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया।
67 छात्रों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं, जिनमें से आठ छात्र एक ही परीक्षा केंद्र से थे, जिससे एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षा के बारे में गंभीर संदेह पैदा होता है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में शीर्ष अदालत ने नीट-यूजी के परिणाम की घोषणा पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, लेकिन इसी तरह के मामले में एनटीए और अन्य को नोटिस जारी किया था।