सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुनवाई होगी। शीर्ष कोर्ट इस मामले में 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 13 अपील की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को तीन भागों में विभाजित करने का फैसला सुनाया था।
शीर्ष अदालत ने इसके पहले 32 याचिकाओं की सुनवाई खारिज कर दी थी। इनमें श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन और तीस्सा सीतलवाड़ की याचिका भी शामिल थी। पिछली सुनवाई के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और अब्दुल नाज़ीर समेत एक खंडपीठ ने अयोध्या मामले में हस्तक्षेप के आवेदन की सुनवाई न करने का निर्देश दिया था।
इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस मामले में भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की हस्तक्षेप याचिका को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि वह पक्षकारों के अलावा किसी की भी हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करने को इच्छुक नहीं है।
क्या है राम जन्मभूमि मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 30 सितंबर 2010 को दो एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को अपीलें विचारार्थ स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी और सभी पक्षों के यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिये थे। जो फिलहाल लागू है।
उल्लेखनीय है कि 1528 में अयोध्या में मुगल बादशाह बाबर द्वारा निर्मित बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को हिंदू कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुए दंगों में 2,000 लोग मारे गए थे। हिंदुओं ने हालांकि दावा किया है कि मूल रूप से वहां एक राम मंदिर था जिसे मस्जिद का निर्माण करने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था।