सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के डायरेक्टर की नियुक्तियों को लेकर दाखिल दो याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा है. जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने केंद्र से ये भी पूछा है कि सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर 2 मई को जो सिलेक्शन कमेटी की जो बैठक होनी है, क्या उसे पहले नहीं किया जा सकता?
दरअसल, एनजीओ कॉमन कॉज ने सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर और ईडी के डायरेक्टर एसके मिश्रा के एक्सटेंशन के खिलाफ दो याचिकाएं दाखिल की थीं. इन्हीं याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. ये याचिकाएं मार्च में दाखिल की गई थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भी जारी किया है. इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ईडी डायरेक्टर के एक्सटेंशन को लेकर सोमवार शाम तक जवाब दे दिया जाएगा.
वहीं सीबीआई के डायरेक्टर की नियुक्ति के मामले में, एनजीओ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मौजूदा समय में किसी भी कानून में अंतरिम डायरेक्टर की नियुक्ति का कॉन्सेप्ट नहीं है. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि हाई पॉवर सिलेक्शन कमेटी की बैठक के बिना सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर की नियुक्ति करने का सरकार का फैसला अवैध है. प्रशांत भूषण की इस दलील पर बेंच ने रजामंदी भी जताई और पूछा कि क्या सिलेक्शन कमेटी की बैठक पहले हो सकती है?
प्रशांत भूषण के तर्क का अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर के तौर पर सबसे सीनियर व्यक्ति को नियुक्त किया गया है और ऐसे में इस फैसले को गैरकानूनी नहीं बताया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सिलेक्शन कमेटी की बैठक 2 मई को शेड्यूल है. उन्होंने याचिकाकर्ताओं की दलील को “बेतुका” बताया. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ अतिउत्साही लोग संस्थाओं पर लेफ्ट, राइट और सेंटर होने का ठप्पा लगा रहे हैं.
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर सिलेक्शन कमेटी की मीटिंग कराने में देरी कर रही है, क्योंकि वो चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट को इस मीटिंग से दरकिनार करना चाहती है, जो 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. इस पर एसजी मेहता ने प्रशांत भूषण के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों की वजह से मीटिंग में देरी हो रही है. अब इन दोनों याचिकाओं पर 16 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.