सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं. अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है.
इस मामले में कोर्ट की टिप्प्णी के बारे में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि चीफ जस्टिस ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज इस मामले में मध्यस्थता को तैयार हैं. कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार यानी 31 मार्च तक का समय दिया है.
सड़क पर भी पढ़ सकते हैं नमाज
स्वामी ने बताया कि कोर्ट में उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि राम जहां पैदा हुए मंदिर वहीं बन सकता है. मस्जिद कहीं भी बन सकता है. नमाज सड़क पर भी पढ़ा जाता है. हमें उम्मीद है कि मुस्लिम समुदाय इस सकारात्मक प्रस्ताव पर विचार करेगा.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अदालत ने अयोध्या मामले पर आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट की बात क्यों कही. इसपर विशेषज्ञ मानते हैं कि ये धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए कोर्ट फैसले से पहले आपसी सहमति की कोशिश चाहता है. अदालत का फैसला जमीन के मालिकाना हक को लेकर हो सकता है लेकिन ये आस्था का विषय है. संघ से जुड़े राकेश सिन्हा ने कहा कि ये मामला आस्था का है और सहमति से इसपर फैसला होना चाहिए.
अदालत का फैसला मंजूर: कल्बे जवाद
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जवाद ने कहा कि जो अदालत का फैसला होगा वो हमें मंजूर होगा.
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