मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में सागौन के पेड़ों को काटकर जंगल साफ किया जा रहा है। दूसरी ओर जंगलों को साफ कर अतिक्रमण किए जाने का सिलसिला भी तेजी के साथ बढ़ने लगा है।
सीहोर में एक बार फिर वन माफिया सक्रिय हो गए हैं। वन माफिया लाड़कुई वन परिक्षेत्र के वन विकास निगम कार्यालय से आधा किमी दूर स्थित जंगल से सागौन की लकड़ियां काट ले गए और वन अमले को भनक तक नहीं लगी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद वन अमला हरकत में आया। वन विभाग का कहना है कि शीघ्र ही लकड़ी चोरों को दबोच लिया जाएगा।
सागौन के पेड़ों को काटकर जंगल साफ किया जा रहा है। दूसरी ओर जंगलों को साफ कर अतिक्रमण किए जाने का सिलसिला भी तेजी के साथ बढ़ने लगा है, जिससे वन संपदा को सीधा नुकसान हो रहा है। कुछ ऐसा ही मामला लाड़कुई वन परिक्षेत्र के वन विकास निगम के जंगलों में सामने आया। जहां लगभग एक दर्जन पेड़ों की बली वन माफियाओं द्वारा की गई। घटना वन विकास निगम के कार्यालय से लगभग आधा किलोमीटर दूर की है। निगम के अधिकारियों को इसकी भनक भी नहीं लगी और माफिया लकड़ियों की सिल्लियां बनाकर अपने साथ ले गए।
इस मामले में निगम के डीएम उमाकांत पांडे का कहना है कि जल्द ही माफियाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया जाएगा। क्षेत्र के वन विकास निगम लाड़कुई के कक्ष क्रमांक 416 में वन माफियाओं के द्वारा कटाई के बाद छह पेड़ों की सिल्लियां बनाकर उसे अपने साथ ले जाने के बाद तीन पेड़ों को उसी हालत में छोड़ गए। वन विकास निगम को कटाई की भनक तक नहीं लगी। सोशल मीडिया पर जब एक वीडियो वायरल हुआ तो विभागीय अमला हरकत में आया और मौके पर पहुंचकर देखा तो लगभग एक दर्जन पेड़ों की बली दी जा चुकी थी। इस मामले में वन विकास निगम की निष्क्रियता भी उभरकर सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में वन संपदा को खत्म करने में वन माफियाओं के द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वन परिक्षेत्र में हरे-भरे पेड़ों को काटकर उन्हें ठूठ में बदलने का सिलसिला तेजी के साथ चल रहा है। लेकिन वन अमला इन पर लगाम नहीं लगा पा रहा, जिसका उदाहरण लाड़कुई वन परिक्षेत्र में चल रही वनों की कटाई के रूप में सामने आया है। हालांकि, इस मामले में अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है। लेकिन हमेशा की तरह विभाग को मौके पर कोई भी माफिया नहीं मिले। ऐसे में विभाग अब अंधेरे में तीर छोड़कर वन माफियाओं को पकड़ने की कोशिश में जुटा है।
विभाग को भनक तक नहीं, कैसे हो रही निगरानी
एक दर्जन पेड़ माफियाओं के द्वारा जंगल से काट लिए गए। लेकिन इसकी भनक वन विकास निगम तक को नहीं लग सकी। आखिर जंगलों की सुरक्षा की निगरानी कैसे हो रही है। यह प्रश्न सामने खड़ा है। निगम के द्वारा जंगलों की सुरक्षा के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की तैनाती की गई है। लेकिन अमले के द्वारा वनों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिससे माफिया तेजी के साथ सक्रिय हो रहे हैं।
स्थिति यह है कि रात के अंधेरे में माफिया सक्रिय होते हैं और वन अमला चैन की नींद सोता है। इस मामले में वन विकास निगम के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। इसी का नतीजा है कि माफिया विभाग को ठेंगा दिखाते हुए नजर आ रहे है। दूसरी ओर वन भूमि पर अतिक्रमण का सिलसिला भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। यदि यही हालात रहे तो निश्चित ही वन संपदा का दोहन होने से कोई नहीं रोक सकेगा।
इस संबंध में वन विकास निगम के जिलाधिकारी उमाकांत पांडे ने बताया कि मामला हमारे संज्ञान में आया है। कुछ पेड़ों की कटाई हुई है और पेड़ों के हिस्से को काटकर माफिया अपने साथ ले गए हैं। इस मामले में विभाग के द्वारा जांच की जा रही है।