सीहोर की एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर है मां विजयासन का दरबार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां विजयासन देवी देवी पार्वती का अवतार हैं, जिन्होंने रक्तबीज राक्षस का वध कर देवताओं को बचाया था। यह मंदिर 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए 1400 सीढ़ियां पार करनी पड़ती हैं।

सीहोर के सलकनपुर देवी मंदिर में लाखों लोग देवी दर्शन के लिए प्रदेश सहित देशभर से आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बंजारों ने की थी। यहां देवी मंदिर एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है। इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्षों में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। इसके अलावा दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे भी शुरू हो गया है, जिसकी मदद से यहां पांच मिनट में पहुंचा जा सकता है।

मां विजयासन के दरबार में दर्शनार्थियों की कोई पुकार कभी खाली नहीं जाती है। माना जाता है कि मां विजयासन देवी पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में विराजमान हैं। विध्यांचल पर्वत शृंखला पर विराजी माता को विध्यवासिनी देवी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं।

विजयासन धाम की उत्पत्ति
शुरू से ही लोगों के मन में मां विजयासन धाम की उत्पत्ति, प्राकट्य, मंदिर निर्माण को लेकर जिज्ञाषा रही है, लेकिन अभी तक इसके कोई भी ठोस साक्ष्य और प्रमाण नहीं मिल पाए हैं। कुछ पंडितों का कहना है कि यहां मां का आसन गिरने से यह विजयासन धाम बना, लेकिन विजय शब्द का योग कैसे हुआ, इसका सटीक उत्तर वे नहीं दे पाएं। मां विजायासन धाम के प्राकट्य का सटीक उत्तर और उल्लेख श्रीमद् भागवत महापुराण में है।

मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया
श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार जब रक्तबीज नामक दैत्य से त्रस्त होकर देवता देवी की शरण में पहुंचे, तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया और इसी स्थान पर रक्तबीज का संहार कर उस पर विजय पाई। मां भगवती की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया वही विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ। मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।

बंजारों ने कराया था निर्माण
एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि लगभग 300 साल पहले बंजारे अपने पशुओं के साथ जब इस स्थान पर विश्राम करने के लिए रुके तब अचानक उनके सारे पशु गायब हो गए। बहुत ढूंढने के बाद भी पशु नहीं मिले। तभी एक बुजुर्ग बंजारे को एक बालिका दिखाई दी। उस बुजुर्ग ने उस बालिका से पशुओं के बारे में पूछा तो उसने कहा कि इस स्थान पर पूजा-अर्चना कीजिए आपको सारे पशु वापस मिल जाएंगे और हुआ भी वैसा ही। अपने खोए हुए पशु वापस मिलने पर बंजारों ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया। तभी से यह स्थल शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हो गया।

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन की तर्ज पर आकार ले रहा देवी लोक
सीहोर जिले के सलकनपुर में भव्य देवी लोक बनने जा रहा है। महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में बने महाकाल लोक की तर्ज पर बन रहे देवी लोक की आधारशिला पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 2023 में रखी है। करीब 211 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के जरिए देवी धाम का कायाकल्प करने की योजना पर काम चल रहा है। संभवत: 2025 में सलकनपुर देवी लोक बनकर तैयार हो जाएगा।

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