ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त लालू प्रसाद यादव की बेहद करीबी रहीं अन्नपूर्णा देवी ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में चुनावी रणनीतिकार और राजनीतिक पंडित भी सकते हैं। सहसा किसी को भी अन्नपूर्णा के इस फैसले पर विश्वास नहीं हाे रहा। नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने वक्त और परिस्थितियों के हिसाब से राजद छोड़ने और भाजपा से जुड़ने का फैसला लेने की बात कही। आइए जानें उन्होंने दैनिक जागरण से सीधी बात में क्या कहा-
आखिर कौन सी ऐसी बात हुई कि आपने पुराना घर छोड़ दिया?
– बस इतना समझिए, परिस्थितियां हर समय एक समान नहीं होती।
कहीं शीर्ष नेतृत्व से कोई अनबन तो नहीं हुई?
– अब ये सब न पूछिए तो बेहतर होगा।
तीन-चार दिन पूर्व तो आपने भाजपा में जाने की बात का सिरे से खंडन किया था? फिर अचानक!
– फिर वक्त और परिस्थितियों की ही बात कहूंगी। ऐसे आप कह सकते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां और विकास की रणनीति मुझे खींच लाई।
आगे की क्या रणनीति है?
– यह शीर्ष नेतृत्व की बातें हैं। थोड़ा इंतजार कीजिए। ऐसे जो जवाबदेही सौंपी जाएगी, ईमानदारी से निर्वहन करूंगी।
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