सनातन शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर जगत जननी मां सीता का प्राकट्य हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन स्नान-ध्यान के बाद साधक विधि-विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम संग जगत जननी मां सीता की पूजा करते हैं।
हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष 16 मई को सीता नवमी है। यह दिन जगत जननी मां सीता को समर्पित होता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर जगत जननी मां सीता का प्राकट्य हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन स्नान-ध्यान के बाद साधक विधि-विधान से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम संग मां सीता की पूजा करते हैं। धार्मिक मत है कि मां सीता की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सकल दुख, संकट, काल और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। अगर आप भी मां सीता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सीता नवमी पर विधिवत मां जानकी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय मां जानकी के 108 नामों का मंत्र जप करें।
मां जानकी के 108 नाम
- ॐ सीतायै नमः
- ॐ जानक्यै नमः
- ॐ देव्यै नमः
- ॐ वैदेह्यै नमः
- ॐ राघवप्रियायै नमः
- ॐ रमायै नमः
- ॐ अवनिसुतायै नमः
- ॐ रामायै नमः
- ॐ राक्षसान्तप्रकारिण्यै नमः
- ॐ रत्नगुप्तायै नमः
- ॐ मातुलिङ्ग्यै नमः
- ॐ मैथिल्यै नमः
- ॐ भक्ततोषदायै नमः
- ॐ पद्माक्षजायै नमः
- ॐ कञ्जनेत्रायै नमः
- ॐ स्मितास्यायै नमः
- ॐ नूपुरस्वनायै नमः
- ॐ वैकुण्ठनिलयायै नमः
- ॐ मायै नमः
- ॐ श्रियै नमः
- ॐ मुक्तिदायै नमः
- ॐ कामपूरण्यै नमः
- ॐ नृपात्मजायै नमः
- ॐ हेमवर्णायै नमः
- ॐ मृदुलाङ्ग्यै नमः
- ॐ सुभाषिण्यै नमः
- ॐ कुशाम्बिकायै नमः
- ॐ दिव्यदायै नमः
- ॐ लवमात्रे नमः
- ॐ मनोहरायै नमः
- ॐ हनुमद् वन्दितपदायै नमः
- ॐ मुक्तायै नमः
- ॐ केयूरधारिण्यै नमः
- ॐ अशोकवनमध्यस्थायै नमः
- ॐ रावणादिकमोहिण्यै नमः
- ॐ विमानसंस्थितायै नमः
- ॐ सुभृवे नमः
- ॐ सुकेश्यै नमः
- ॐ रशनान्वितायै नमः
- ॐ रजोरूपायै नमः
- ॐ सत्वरूपायै नमः
- ॐ तामस्यै नमः
- ॐ वह्निवासिन्यै नमः
- ॐ हेममृगासक्त चित्तयै नमः
- ॐ वाल्मीकाश्रम वासिन्यै नमः
- ॐ पतिव्रतायै नमः
- ॐ महामायायै नमः
- ॐ पीतकौशेय वासिन्यै नमः
- ॐ मृगनेत्रायै नमः
- ॐ बिम्बोष्ठ्यै नमः
- ॐ धनुर्विद्या विशारदायै नमः
- ॐ सौम्यरूपायै नमः
- ॐ दशरथस्तनुषाय नमः
- ॐ चामरवीजितायै नमः
- ॐ सुमेधा दुहित्रे नमः
- ॐ दिव्यरूपायै नमः
- ॐ त्रैलोक्य पालिन्यै नमः
- ॐ अन्नपूर्णायै नमः
- ॐ महाल्क्ष्म्यै नमः
- ॐ धिये नमः
- ॐ लज्जायै नमः
- ॐ सरस्वत्यै नमः
- ॐ शान्त्यै नमः
- ॐ पुष्ट्यै नमः
- ॐ शमायै नमः
- ॐ गौर्यै नमः
- ॐ प्रभायै नमः
- ॐ अयोध्यानिवासिन्यै नमः
- ॐ वसन्तशीतलायै नमः
- ॐ गौर्यै नमः
- ॐ स्नान सन्तुष्ट मानसायै नमः
- ॐ रमानाम भद्रसंस्थायै नमः
- ॐ हेमकुम्भपयोधरायै नमः
- ॐ सुरार्चितायै नमः
- ॐ धृत्यै नमः
- ॐ कान्त्यै नमः
- ॐ स्मृत्यै नमः
- ॐ मेधायै नमः
- ॐ विभावर्यै नमः
- ॐ लघूधरायै नमः
- ॐ वारारोहायै नमः
- ॐ हेमकङ्कणमण्दितायै नमः
- ॐ द्विजपत्न्यर्पितनिजभूषायै नमः
- ॐ रघवतोषिण्यै नमः
- ॐ श्रीरामसेवनरतायै नमः
- ॐ रत्नताटङ्क धारिण्यै नमः
- ॐ रामवामाङ्कसंस्थायै नमः
- ॐ रामचन्द्रैक रञ्जिन्यै नमः
- ॐ सरयूजल सङ्क्रीडा कारिण्यै नमः
- ॐ राममोहिण्यै नमः
- ॐ सुवर्ण तुलितायै नमः
- ॐ पुण्यायै नमः
- ॐ पुण्यकीर्तये नमः
- ॐ कलावत्यै नमः
- ॐ कलकण्ठायै नमः
- ॐ कम्बुकण्ठायै नमः
- ॐ रम्भोरवे नमः
- ॐ गजगामिन्यै नमः
- ॐ रामार्पितमनसे नमः
- ॐ रामवन्दितायै नमः
- ॐ राम वल्लभायै नमः
- ॐ श्रीरामपद चिह्नाङ्गायै नमः
- ॐ राम रामेति भाषिण्यै नमः
- ॐ रामपर्यङ्कशयनायै नमः
- ॐ रामाङ्घ्रिक्षालिण्यै नमः
- ॐ वरायै नमः
- ॐ कामधेन्वन्नसन्तुष्टायै नमः
- ॐ मातुलिङ्गकराधृतायै नमः