वर्तमान में देश के 19 राज्यों में भाजपा की सरकार है। इसलिए संविधान में बदलाव की बात कर जाति के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश कर रही है।
अंबेडकर ने एससी-एसटी एक्ट में बदलाव मामले में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील को दिखावा करार दिया। कहा, अब इसमें कोई फैसला नहीं आने वाला है। कोर्ट ने समय देकर जनता के गुस्से को कम करने की कोशिश की है।
मंच के संयोजक सीएल राजन ने कहा कि आज अंबेडकरवादियों को सतर्क रहने की जरूरत है। वहीं अंबेडकर विवि के प्रो. डॉ. एनके मोरे, बाबू जगजीवन राम फाउंडेशन के अध्यक्ष जेआर हरकोटिया व भागीदारी आंदोलन के अध्यक्ष पीसी कुरील ने देश भर में दलित समुदाय पर बढ़ रहे हमलों पर नाराजगी जताई।
रैली में शामिल लोगों ने संविधान को किसी भी कीमत पर बदलने नहीं देने का संकल्प लिया। बाद में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल को एक मांग पत्र भेजा गया।
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