मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दिल्ली से लौटकर रात में सीधे स्टेट हैंगर से राज्य आपदा नियंत्रण कंट्रोल रूम पहुंचे। यहां उन्होंने अधिकारियों को बांधों के गेट खुलने की स्थिति में सतर्क रहने के निर्देश दिए।
मध्य प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर जारी है। लगातार बारिश से बांधों में पानी भरा रहा है। अब पानी के लेवल को मेंटनेन करने के लिए प्रशासन की तरफ से बांधों के गेट खोले जा रहे है। इससे तटीय इलाकों में बाढ़ के हालत बन सकते है। इसको लेकर प्रशासन अलर्ट है। वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि दिल्ली से लौटने के बाद सीधे अचानक राज्य आपदा कंट्रोल रूम पहुंचे।
उन्होंने प्रदेश के जिलों में अति वर्षा की स्थिति की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे स्थान जहां भी पुल के ऊपर पानी बह रहा हो तो वहां नागरिकों को नहीं जाना चाहिए। इस संबंध में सभी सजग रहे। बांधों के गेट खुलने की स्थिति में सतर्क रहें। जो क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं वहां आवश्यक सावधानी रखी जाए। जनहानि ना हो, यह ध्यान रखा जाए। कंट्रोल रूम में भी वरिष्ठ अधिकारी समय-समय पर उपस्थित रहें और जिलों में प्रशासनिक अधिकारी सभी प्रबंध सुनिश्चित करते रहें।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बताया कि उनका उद्देश्य अचानक पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लेना था और उन्हें संतोष है कि संबंधित अधिकारी और स्टाफ मुस्तादी से कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने प्रदेश में अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बाढ़ नियंत्रण कक्ष के किए जा रहे कार्य के संबंध में जानकारी प्राप्त की। मुख्य सचिव वीरा राणा और अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ राजेश राजौरा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
बता दें प्रदेश में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। मुख्यमंत्री लगातार बारिश की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारयों को शुक्रवार और शनिवार को भी निर्देश दिए थे। अति वर्षा की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने आवश्यकता अनुसार राहत शिविर लगाने और प्रभावित नागरिकों को भोजन और अन्य जरूरी सामग्री देने के निर्देश भी दिए है। मुख्यमंत्री ने बाढ़ की स्थिति को लेकर सीएस के साथ बैठक भी की।
अधिकारी सभी स्थितियों पर निरंतर नजर रखें। आवश्यकता हो तो हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी ऐसे क्षेत्र के लिए रखी जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूबवेल के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर नियंत्रण स्थापित करें।