राजधानी भोपाल में आज से दो दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव शुरू हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव माइनिंग कॉन्क्लेव में उद्योगपतियों से चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि माइनिंग कॉन्क्लेव से विकसित भारत 2047 का सपना पूरा होगा।
मध्य प्रदेश सरकार राज्य को खनन की राजधानी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके लिए 17-18 अक्टूबर को भोपाल में माइनिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव माइनिंग क्षेत्र के उद्योगपतियों से संवाद करेंगे। भोपाल के कुशाभाऊ इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होने वाले इस माइनिंग कॉन्क्लेव का उद्देश्य मध्य प्रदेश को खनन क्षेत्र में प्रमुख केंद्र बनाना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि प्रदेश में खनन की असीमित संभावनाएं हैं और यह आयोजन राज्य को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के नए अवसरों की ओर ले जाएगा। उनका मानना है कि इस कॉन्क्लेव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की प्राप्ति में मदद मिलेगी।
प्रदेश में खनन की संभावनाएं
मध्य प्रदेश खनिज संसाधनों के मामले में देश का एक प्रमुख राज्य है। यह भारत का एकमात्र राज्य है जो हीरे का उत्पादन करता है। इसके अलावा, मैग्नीज, तांबा अयस्क, चूना पत्थर, रॉक-फास्फेट, और कोयला उत्पादन में भी प्रदेश अग्रणी है। माइनिंग कॉन्क्लेव के माध्यम से राज्य सरकार खनन और खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।
600 से अधिक निवेशक होंगे शामिल
इस कॉन्क्लेव में केंद्रीय खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी, राज्य मंत्री एससी दुबे, और केंद्रीय खान मंत्रालय के सचिव वीएल कांता राव शामिल होंगे। साथ ही एनसीएल, एचसीएल, एनएमडीसी, ओएनजीसी और जीएआईएल जैसी प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधि और अन्य राज्यों के उद्योगपतियों सहित 600 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन से राज्य में खनन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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