देहरादूनः बढ़ती गर्मी के साथ उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धधकते जंगलों के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को सभी जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक हर दिन वनाग्नि की निरंतर निगरानी करने के निर्देश जारी करने को कहा। वहीं, जंगलों में आग लगाने के आरोप में चार व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
रतूड़ी से फोन पर बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर निगरानी करने के निर्देश तत्काल जारी करें। इसके साथ ही उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को सभी प्रकार के चारे को जलाने पर तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के आदेश देने को भी कहा। इसके अलावा, शहरी निकायों को भी अपने ठोस कूड़े को वनों में या उसके आसपास जलाने पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, उन्होंने प्रदेश में हो रही वनाग्नि की घटनाओं के बारे में शनिवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अधिकारियों को आपस में सामंजस्य स्थापित करते हुये एक ऐसा तंत्र बनाने को कहा है, जिससे जल्दी से जल्दी इस पर काबू पाया जा सके। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से भी वनों को बचाने के लिए अपना पूरा सहयोग देने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वन संपदा हमारी धरोहर है, जिसे हमें हर हाल में बचाना है।” पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान की अगुवाई में अधिकारियों और कर्मचारियों की एक टीम ने वनाग्नि पर जल्द काबू पा लिया और उसे फैलने से रोक लिया। पौड़ी जिला मुख्यालय स्थित टेका मार्ग पर शनिवार देर रात जंगल में आग लगने की सूचना मिलते ही चौहान समेत अन्य अधिकारी घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े और उसे बुझाने लगे। बाद में मौके पर पहुंचे अग्निशमन दल ने आग को पूरी तरह से बुझा दिया। इस बीच, पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट वन रेंज में जंगलों में आग लगाने के आरोप में चार युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पीयूष सिंह, आयुष सिंह, राहुल सिंह और अंकित के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यहां वन विभाग द्वारा जारी वनाग्नि बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के जंगलों में आग लगने की 24 घटनाएं सामने आईं, जिनमें 23.75 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। पिछले साल एक नवंबर से अब तक प्रदेश में वनाग्नि की 910 घटनाएं हुईं हैं, जिनमें करीब 1145 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। इस दौरान वनाग्नि में झुलसकर चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गई तथा चार अन्य घायल हो गए।