प्रधानमंत्री ने केवड़िया में सिविल सर्विसेज प्रोबेशनर्स को संबोधित किया। उन्होंने नौकरशाहों से देशहित में फैसले लेने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से कहा की जो भी काम करिए, जिस किसी के लिए भी करिए, अपना समझ कर करिए। इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों को टीवी पर दिखने और अखबार में छपने जैसे रोगो से दूर रहने की सलाह दी.
एक सिविल सेवा अधिकारी के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप देश के सामान्य मानवी से निरंतर जुड़े रहें। जब आप लोगों से जुड़े रहेंगे, तो लोकतंत्र में काम करना और आसान हो जाएगा। फील्ड में लोगों से कट-ऑफ कभी मत कीजिए।
‘दिखास’ और ‘छपास’ ये दो रोगों से दूर रहिएगा। दिखास और छपास यानी, टीवी पर दिखना और अखबार पर छपना। ये दोनों रोग जिसे लगे, वो अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता।
जो भी काम करिए, जिस किसी के लिए भी करिए, अपना समझ कर करिए। जब आप अपने विभाग में सामान्य जनों को अपना परिवार समझ कर काम करेंगे, तो आपको कभी थकान नहीं होगी, आप हमेशा नई ऊर्जा से भरे रहेंगे।
आज देश जिस मोड में काम कर रहा है, उसमें आप सभी बयूरोक्रैट्स की भूमिका मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस की ही है। आपको ये सुनिश्चित करना है कि नागरिकों के जीवन में आपका दखल कैसे कम हो, सामान्य मानवी का सशक्तिकरण कैसे हो
सरकार शीर्ष से नहीं चलती है। नीतियां जिस जनता के लिए हैं, उनका समावेश बहुत जरूरी है। जनता केवल सरकार की नीतियों की, प्रोग्राम्स की रिसीवर नहीं है, जनता जनार्दन ही असली ड्राइविंग फोर्स है। इसलिए हमें गवर्नमेंट से गवर्नेंस की तरफ बढ़ने की जरूरत है।
ये ‘आरंभ’ सिर्फ आरंभ नहीं है, एक प्रतीक भी है और एक नई परंपरा भी। ऐसे ही सरकार ने कुछ दिन पहले एक और अभियान शुरू किया है- मिशन कर्मयोगी। मिशन कर्मयोगी, कैपेसिटी बिल्डिंग की दिशा में अपनी तरह का एक नया प्रयोग है।