गुरु दोष शांति के लिए: गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर, पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें और उसे एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां भी साथ रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार आपको इस मंत्र का जप करना है ॐ बृहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:. इसके साथ आपको बृहस्पति देव को ग्यारह केले भी अर्पित करने है, इस प्रकिया के दौरान बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ा दे, इस विधि को करने से आपके जीवन में गुरु दोष शांत हो जाएगा।
शुक्र दोष शांति के लिए: शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर, पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध ले और इसे एक थाली में चार सुपारियां के साथ रखते हुए इस पर गंगाजल छिड़के और 21 बार इस मंत्र का जाप करें- ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:.। इस प्रकिया को पूरा करने के लिए आपको तीन मीठे पान शुक्र देवता को, गुड़-चने का प्रसाद बनाकर अर्पित करे।
शनि दोष शांति के लिए: शनिवार को तीन मोर पंख लेकर पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें और इसको एक थाली में तीन सुपारियां के साथ रखें। उस पर गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जाप करना हैं। ॐ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा: इस मंत्र के जाप के बाद तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को चढ़ा दे। इस प्रकिया में गुलाबजामुन का प्रसाद बनाकर शनि-देव को चढ़ाएं। इस प्रकिया से शनि संबंधी दोष शांत हो जाएगा है।
राहु दोष शांति के लिए: शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर,पंखों के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें और एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखतें हुए. गंगाजल छिडकर 21 बार इस मंत्र का जाप करें. ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:.। जिसके ब चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें। कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।
केतु दोष शांति के लिए: शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें- ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:. पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें। फलों का प्रसाद चढ़ाएं।