नई दिल्ली, रायटर्स। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा और सबसे विश्वसनीय नौकरशाह, जिसे शायद भारत के वित्तीय दुनिया के बाहर कम ही लोग जानते हों, वह शख्स उस प्लान की अगुवाई कर रहे थे जिसके तहत एक रात में ही देश की 86 फीसदी नोटों को चलन से बाहर कर दिया। जिसका मकसद अर्थव्यवस्था से कालेधन की सफाई करना था।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया और पांच अन्य नोटबंदी की इस योजना से गुप्त रूप से अवगत थे और इसे पूरी तरह सीक्रेट रखा हुआ था। उन्हें युवाओं की एक रिसर्च टीम दी गई थी जो प्रधानमंत्री मोदी के नई दिल्ली आवास के दो कमरों में लगातार काम कर रही थी। पीएम मोदी 2014 में जब सत्ता में आए थे उसके बाद से आर्थिक सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम था।
नोटबंदी पर एक महीना पूरा, ATM खाली, लाइन पूरी
पढ़ें- जानिये, नोटबंदी के चलते दिल्ली का कौन सा मशहूर सिनेमा हाल हुआ बंद?
8 नवंबर की रात को 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के एलान ने लोगों को चौंका कर रख दिया। इस योजना को गुप्त रखने का मकसद उन लोगों से बचना था जो इस बात की जानकारी होने पर फायदा उठा सकते थे और अपने छिपे हुए अवैध काले धन को सोना, जमीन या अन्य संपत्तियों में लगा सकते थे।
हालांकि, पीएम की तरफ से नोटबंदी के फैसले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी गईं। कुछ लोगों ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से बैकिंग सिस्टम में ज्यादा पैसे आएंगे और इससे सरकार को मिलनेवाले कर में इजाफा होगा। तो वहीं, बैंक और एटीएम की लंबी लाइनों में घंटों पुराने नोट को बदलने और जमा करने से परेशान लोगों ने इसकी आलोचना भी की। लेकिन, इस योजना को लेकर पहले से करेंसी पर्याप्त मात्रा में नहीं छपे होने के चलते स्थिति अभी सामान्य होने में महीनों लग जाएंगे।
पढ़ें- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने किया 11 सूत्रीय पैकेज का एलान
पीएम मोदी नोटबंदी लागू करने की निगरानी निजी स्तर पर देख रहे थे। इसके अलावा अधिया के नेतृत्व में एक टीम इस मामले पर नजर बनाए हुए थी। वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी अधिया 2003-06 में गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रधान सचिव के तौर काम किया था। अधिया और मोदी के बीच विश्वास का रिश्ता यहां भी कायम रहा। अधिया को 2015 में राजस्व सचिव बनाया गया था। वैसे तो अधिया की रिपोर्टिंग वित्त मंत्री अरुण जेटली को थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह सीधे मोदी के साथ संपर्क में रहते थे और जब दोनों इस मुद्दे पर मिलते थे गुजराती में बात करते थे।
पीएम मोदी ने नोटबंदी को लेकर अपनी छवि और लोकप्रियता को दांव पर लगा दिया है। नोटबंदी के फैसले के एलान से ठीक पहले पीएम ने कैबिनेट मीटिंग में कहा था, “मैने सभी तरह के रिसर्च पूरे कर लिए हैं। अगर मैं इसमें विफल होता हूं तो इसका इल्जाम मेरे ऊपर ही आएगा।”