मानसून की विदाई का वक्त चल रहा है। कहीं कहीं मानसून की रवानगी वाली बारिश जरूर हो रही है, लेकिन देश के विभिन्न इलाकों में सितंबर में तापमान तेजी से बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि सितंबर में अप्रैल-मई वाली गर्मी पड़ रही है।

मौसम विशेषज्ञों ने इसका कारण जानने की कोशिश की तो जलवायु परिवर्तन के साथ ही एक और कारण सामने आया। जानकारों के मुताबिक, उमस भरी इस गर्मी के पीछे बादलों की बेरुख है। यानी बादल नहीं बनने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। पढ़िए नई दिल्ली से संजीव गुप्ता की रिपोर्ट
आमतौर पर सितंबर के पहले 7 दिनों में अधिकतम तापमान 34.3 डिग्री रहता है, लेकिन इस बार दिल्ली में 36 डिग्री से भी अधिक तापमान दर्ज हुआ है। शुक्रवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 38.0 डिग्री दर्ज किया गया।
18 सितंबर की तारीख में 2011 से लेकर 2020 का यह सर्वाधिक अधिकतम तापमान है। इसी तरह 8 से 17 सितंबर के दौरान अधिकतम तापमान 33.7 से 33.8 डिग्री होना चाहिए, लेकिन इस साल यह 37 डिग्री से भी ऊपर दर्ज किया गया।
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, इन हालात के लिए जलवायु परिवर्तन तो जिम्मेदार है ही, आसमान का साफ होना भी एक वजह है। ज्यादा बादल बन ही नहीं रहे। इससे सूरज की किरणें धरती तक सीधे पहुंच रही हैं।
स्काईमेट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत के अनुसार, पहले 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर भी बादल बनते थे तो रिमझिम फुहार करते रहते थे।
लेकिन अब ये बादल 35 से 50 हजार फीट की ऊंचाई पर बनने लगे हैं। इससे बारिश कम हो गई है। स्थानीय प्रदूषण और घटता वनक्षेत्र भी इस गर्मी और बारिश के बदले पैटर्न के लिए उत्तरदायी है।
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