एक अप्रैल 2020 से सिर्फ बीएस-6 मानक वाले वाहन ही बिकेंगे। हालांकि, पहले से दौड़ रहे बीएस-4 वाहनों को सड़कों से नहीं हटाया जाएगा। दिल्ली सहित देशभर में प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वाहन निर्माता कंपनियों को बीएस-6 मानक लागू करने में छूट देने से साफ मना कर दिया है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि बीएस-6 लागू करने की अधिसूचना 2017 में लागू कर दी गई थी,लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों ने अधिसूचना के खिलाफ समय सीमा बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट के पिछले दिनों वाहन उद्योग को समय में छूट देने से मना करने पर उक्त अधिसूचना स्वत: लागू हो जाएगी। इसके मुताबिक 1अप्रैल 2020 से सिर्फ बीएस-6 उत्सर्जन मानक के वाहनों का पंजीकरण किया जाएगा। वाहन निर्माता कंपनियों के सामने बीएस-4 वाहनों को इससे पहले बेचने होंगे। इस समय सीमा के बाद बीएस-4 वाहन गोदाम से बाहर नहीं निकल पाएंगे।
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प्रवक्ता ने बताया कि प्रथम चरण में चारों महानगरों सहित जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी यूपी सहित कुछ शहरों में बीएस-6 मानक लागू होंगे। इसके बाद उत्सर्जन के नए नियम देशभर में लागू किए जाएंगे।
क्या है बीएस 6
बीएस का मतलब है भारत स्टेज। इसका संबंध उत्सर्जन मानकों से है। बीएस-6 वाहनों में खास फिल्टर लगेंगे, जिससे 80-90% पीएम 2.5 जैसे कण रोके जा सकेंगे। नाइट्रोजन ऑक्साइड पर नियंत्रण लगेगा।
क्या फायदा होगा
परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि बीएस-6 वाहन में हवा में प्रदूषण के कण 0.05 से घटकर 0.01 रह जाएंगे। यानी बीएस-6 वाहन व बीएस-6 पेट्रोल-डीजल होने पर प्रदूषण 75%कम हो जाएगा।
बीएस 4 के मुकाबले कैसे अलग
बीएस 4 के मुकाबले बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे। बीएस4 और बीएस-3 ईंधन में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम होती है। बीएस 6 मानकों में यह घटकर 10 पीपीएम रह जाएगा, जिससे प्रदूषण कम होगा।
असर-1: 15% तक महंगी हो जाएंगी कारें
बीएस-6 वाहन में नया इंजन व इलेक्ट्रिकल वायरिंग बदलने से वाहनों की कीमत में 15 फीसदी का इजाफा हो सकता है। बीएस-6 से वाहनों की इंजन की क्षमता बढ़ेगी। इससे उत्सर्जन कम होगा। वहीं बीएस-6 पेट्रोल-डीजल 1.5 से दो रुपये प्रति लीटर मंहगा होगा।
असर-2: 4 लीटर में 100 किमी से ज्यादा चलेंगी कार
बीएस-6 ईधन क्षमता बढ़ाने से कारें 4.1 लीटर में 100 किलोमीटर से अधिक माइलेज देंगी। वाहन निर्माता कंपनियां माइलेज में फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएंगी। वर्तमान में हकीकत में गाड़ियां उतना माइलेज नहीं देती हैं, जितना दावा किया जाता है। नए नियम लागू होने पर कंपनियों को इसका पालन करना होगा।