साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं देना नहीं है अनिवार्य

साल 2023 एजुकेशन फील्ड के लिए काफी अहम रहा है। नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत इस वर्ष कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिनमें से एक था- साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय। बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक रहा है, क्योंकि अभी तक देश भर के विभिन्न राज्यों समेत सीबीएसई बोर्ड की ओर से 10वीं और बारहवीं की परीक्षाओं के लिए साल के आखिर में एग्जाम कंडक्ट कराए जाते थे। इसके बाद परिणामों की घोषणा मई- जून में की जाती थी, लेकिन अब इस फैसले के बाद से ऐसा नहीं होगा।

अगस्त में मंत्रालय की ओर से इस संबंध में आधिकारिक घोषणा की गई थी। इसके तहत, स्टूडेंट्स साल में दो बार एग्जाम में शामिल हो सकते हैं। छात्र- छात्राओं को बेस्ट स्कोर लाने की अनुमति दी जाएगी। अगर कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में एक बार फेल होता है तो वह उसी वर्ष दूसरा एग्जाम देकर पास हो सकेगा। हालांकि, जिन छात्रों का पहले साल स्कोर कम होगा, वे दूसरा एग्जाम देकर अपने अंक भी बढ़ा सकते हैं।

साल में दो बार परीक्षाएं देना अनिवार्य नहीं

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि वर्ष में दो बार एग्जाम देना अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह वैकल्पिक रहेगा। एजुकेशन मिनिस्टर ने कहा था कि छात्र-छात्राओं के पास जेईई मेंस की तरह साल में दो बार परीक्षा में शामिल होने का विकल्प होगा।

बता दें कि NEP के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार किया गया है। फिलहाल, इसकी सिफारिशों के अनुसार ही नए स्कूल पाठ्यक्रम को डिजाइन किया जा रहा है। हाल ही में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा था कि, इस आधार पर कक्षा III से VI, कक्षा IX और XI के लिए नई पाठ्यपुस्तकें 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए और बाकी अन्य के लिए साल 2025-26 में तैयार होंगी।

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