साक्षात्कारः भीमआर्मी के मुखिया रावण ने खोले सनसनीखेज राज, जानें जेल में क्या हुआ

शब्बीरपुर जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी भीमआर्मी के मुखिया चंद्रशेखर उर्फ रावण ने सनसनीखेज राजफाश किया है। उनका दावा है कि कैराना उपचुनाव से पहले रासुका खत्म कर चुनाव लडऩे का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन मेरी शर्त सुनने के बाद मध्यस्थता करने वाले उल्टे पांव लौट गए।

चंद्रशेखर से उनके निवास पर जागरण संवाददाता ने जेल जाने से रिहाई तक और राजनीति से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश- 

आपका कहना है कि कैराना उपचुनाव के दौरान भाजपा द्वारा बड़ा आफर दिया गया। ये ऑफर आपको किसने और कब दिया?

  • चुनाव नामांकन से 10 दिन पहले सरकार में दखल रखने वाले हमारे ही समाज के कुछ लोग मुझसे जेल में मिलने आए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर मैंने उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि आप उप चुनाव लडि़ए। सरकार से बातचीत कर रासुका खत्म करा दी जाएगी। मेरी शर्त थी कि रासुका नामांकन से पहले हटे ताकि मैं जेल से बाहर आकर नामांकन कर सकूं। इसके बाद वे लोग लौट गए। रुपये की कोई बात नहीं हुई थी। मुझे चुनाव नहीं लडऩा था इसलिए ऐसी शर्त रखी थी। 

आप बहनजी के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं लेकिन उन पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप के साथ ही वोट बैंक की राजनीति के आरोप भी हैं।

  • मायावती राजनीतिक दल की मुखिया हैं। उन पर लगे आरोप भी राजनीतिक ही हैं। कोई आरोप आज तक साबित नहीं हुआ है। राजनीति में ऐसे आरोप लगते रहते हैं। मुझ पर भी गत वर्ष नक्सलियों के साथ मिलकर 50 लाख रुपये लेकर दंगा कराने का आरोप लगा था। 

मायावती आपको भाजपा का एजेंट बताती हैं। भीम आर्मी को भाजपा द्वारा खड़ा किया गया संगठन भी कहती हैं। 

  • मायावती से मेरा खून का रिश्ता है। वह मेरी बुआ लगती हैं। मेरी औकात नहीं कि उनके बारे में कोई टिप्पणी कर सकूं। यदि उन्होंने ऐसा कहा है तो यह राजनीतिक बयान हो सकता है। राजनीति में बयान बदलते रहते हैं। 

आप महागठबंधन के समर्थन की बात करते हैं। अगर महागठबंधन नहीं हुआ तो बसपा, सपा या कांग्रेस में से किसका समर्थन करेंगे? 

  • मेरा और मेरे समाज का किसी गठबंधन या महागठबंधन से कोई संबंध नहीं है। हम उसके साथ रहेंगे, जो भाजपा को हराएगा। यदि भाजपा सच में अनुसूचित जातियों की हितैषी है तो दो अप्रैल को जेल भेजे गए मेरे समाज के सभी युवकों को रिहा कर उनके मुकदमे वापस क्यों नहीं ले रही। यदि वह ऐसा कर दे तो अनुसूचित जाति के लोग भाजपा को पसंद करने लगेगा। 

 क्या भीम आर्मी का स्वरूप हमेशा गैर-राजनीतिक रहेगा। अगर अराजनैतिक है तो किसी का समर्थन और किसी का विरोध क्यों? 

  • भीम आर्मी गैर-राजनीतिक है और रहेगी। हमारा उद्देश्य समाज सेवा है। हम भाजपा के विरोध में इसलिए हैं, क्योंकि इनके राज में हमारे समाज का शोषण होता रहा है। दो अप्रैल की घटना के बाद मुझे जेल में मिले पत्रों से पता चला कि समाज के बेगुनाह लोगों को जेल भेज दिया गया। ऐसे में भाजपा के विरोध में यदि किसी का भी समर्थन करना पड़ा तो करेंगे। 

 भाजपा सरकार ने जिस तरह आपकी रिहाई की, उसे किस नजरिए से देखते हैं? आगे की क्या योजना है? 

  • मुझे झूठे आरोप में जेल भेजकर रासुका लगाई गई। सरकार के वकील भी इसे साबित नहीं कर पा रहे थे। सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए कोई जवाब नहीं था। सरकार ने सिर्फ अपनी फजीहत बचाई है। भविष्य में भी समाज सेवा करनी है। 

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