पिछले 22 दिनों से हिंसा की आग में जल रहे सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में शुक्रवार को एक दलित परिवार में दो बहनों की एक साथ शादी हुई. शादी की वजह से गाँव में कई दिनों के बाद खुशी का माहौल दिखा. डीजे की धुनों पर बाराती नाचते-गाते दिखे. गांव के एक दलित, फकीरचंद की दो बेटियों प्रीति और मनीषा की शादी के लिए प्रशासन ने भारी सुरक्षा बंदोबस्त किया था.
रैपिड एक्शन फोर्स और पीएसी की कई टुकड़ी गांव के अंदर और बाहर लगाई गई थी. शादी के माहौल में कोई अप्रिय घटना ना हो जाये इसलिए गांव को तकरीबन छावनी में तब्दील कर दिया गया था. फकीरचंद की एक बेटी प्रीति की शादी सहारनपुर के शीतलपुर के मिक्की नामक युवक से हुई. वहीं दूसरी बेटी मनीषा की शादी जिला शामली के जानीपुर के रहने वाले अरुण से हुई. मनीषा ने कहा कि ‘उसने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे बंदूक के साये में उसकी शादी होगी, गाँव के हालात अभी तो सामान्य दिखते हैं, लेकिन अभी भी उसके मन में डर है और हालात में 19-20 का ही फर्क हुआ है.’
दूसरी तरफ फकीरचंद प्रशासन के इंतजाम से संतुष्ट दिखे, लेकिन साथ ही ये प्रार्थना भी कर रहे थे कि आगे भी ऐसा ही माहौल रहे. फकीरचंद ने कुछ क्षत्रिय परिवारों को भी न्यौता भेजा था. उनमें से कुछ लोग बारात के स्वागत के लिए शामिल हुए और शादी में शिरकत की. गाँव के हालात का मुआयना करने सहारनपुर के जिलाधिकारी पी. के. पांडेय और एसएसपी बबलू कुमार के अलावा दूसरे आला अधिकारी भी पहुंचे. जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान ने दोनों वर-वधु को घर जाकर आशीर्वाद दिया. शुक्रवार सुबह, गांव में आरएएफ और पीएसी ने फ्लैग मार्च किया था, ताकि लोगों में दहशत खत्म हो. प्रशासन की कोशिशों से माहौल सामान्य हो रहा है और अगर पार्टियां राजनीतिक रोटियां सेंकना बन्द कर दें, तो शायद दलित और राजपूतों में पैदा हुई नफरत की खाई भी जल्द पट सकेगी.