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नायडू ने कहा, ‘इस समय किफायती आवास खंड को सेवा कर से छूट है। मेरा मंत्रालय इस क्षेत्र को जीएसटी के तहत भी यह छूट जारी रखने की जरूरत का मुद्दा वित्त मंत्रालय के सामने पहले ही उठा चुका है।’ उन्होंने कहा कि किफायती आवास खंड को बजट में बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया गया है और इससे खरीदारों में नकदी उपलब्धता बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि भले ही रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में रखने के बारे में स्पष्टता नहीं हो लेकिन ‘एक देश एक कर’ के इस बड़े सुधार से इस क्षेत्र को फायदा होगा ही।
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मकानों का कब्जा समय पर दें कंपनियां: नायडू
केंद्रीय मंत्री ने बिल्डरों से मकान खरीदने वालों से किए वादे को पूरा करने और समय पर उसकी डिलीवरी करने को कहा। वहीं जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों ने मौजूदा परियोजनाओं को नए रीयल्टी कानून से छूट दिए जाने की मांग की। नायडू ने कुछ शहरों में जमीन की आसमान छूती कीमतों को लेकर चिंता जतायी और कहा कि उसे लोगों के लिये सस्ता बनाने के लिए नीचे लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार आपसे किए वादों से अधिक करने के लिए नहीं कह रही है। आपने कागज पर जो भी वादा किया है, आप केवल उसको पूरा कीजिए। हम आपके साथ हैं।’ नायडू क्रेडाई के चेयरमैन इरफान रज्जाक की मांग पर जवाब दे रहे थे। रज्जाक ने यह मांग की है कि नया रीयल एस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून पूर्व की तिथि से लागू नहीं होना चाहिए और केवल नई परियोजनाओं पर ही लागू होना चाहिए। यह मांग ऐसे समय की गई है जब रीयल्टी कंपनियां पिछले कुछ साल से ग्राहकों को समय पर आवासीय इकाई उपलब्ध नहीं करा रही हैं। इससे ग्राहकों में नाराजगी है और खरीदारों द्वारा विभिन्न अदालतों में कई मुकदमें चल रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘जो मुद्दे उठाये जा रहे हैं, उस पर मंत्रालय विचार कर रहा है। मौजूदा परियोजनाओं के संदर्भ में भी….।’ वेंकैया नायडू ने कहा कि क्षेत्र को रातों-रात फरार होने वाली इकाइयों से निपटने की जरूरत है। मंत्री ने बिल्डरों से सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल लेन-देन अपनाने को कहा। रीयल एस्टेट क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए उन्होंने कहा कि डिवेलपरों को अपने परिदृश्य में बदलाव लाने की जरूरत है तथा वे नए व्यापार सिद्धांत और मॉडल लेकर आएं। व्यापार सुगमता के बारे में नायडू ने कहा कि सरकार रीयल एस्टेट परियोजनाओं में त्वरित मंजूरी की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने की भी वकालत की ताकि सरकार लोगों के हित में कठिन फैसले कर सके।