हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि हिंदू धर्म में कई रीति-रिवाज ऐसे हैं जिसमें समय के साथ बदलाव आता चला गया, लेकिन कुछ रिवाज ऐसे हैं जो निरंतर ठीक उसी तरह चल रहा है. ऐसे में आज हम आपको उन्हीं रीति-रिवाज में से एक रिवाज के बारे में बताने जा रहे हैं. जी हाँ, आज हम आपको बताएंगे कि अंतिम क्रिया के दौरान मृतक के शव को जलाने के वक्त उनके सर पर डंडा क्यों मारा जाता है.
जी आप सभी जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है जिसमें व्यक्ति के शव को मुखाग्नि देकर जला दिया जाता है. वहीं उस समय शव को जलाते हुए मृतक व्यक्ति के सर पर डंडा मारा जाता है. अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर शव के सर पर डंडा क्यों मारा जाता है ? वैसे इतना तो आप जानते ही होंगे कि निश्चित रूप से इसके पीछे कोई ना कोई अहम बात होगी और इसी वजह से सदियों से ये प्रथा यूं ही निरंतर चल रही है. तो आइए जानते हैं इसके पीछे का राज.
राज – जी दरअसल मृतक व्यक्ति के सर पर डंडा इसलिए मारा जाता है ताकि अगर मृतक व्यक्ति के पास किसी तरह का कोई तंत्र विद्या होगा तो कोई दूसरा तांत्रिक इस विद्या को चुरा ना ले और उसकी आत्मा को अपने वश में ना कर ले. जी हाँ, क्योंकि संभव है कि कोई तांत्रिक उस आत्मा को अपने वश में कर लेने के बाद उससे किसी भी तरह के बुरे कार्यों को अंजाम दे सकता है. इसी के साथ और भी कई टोटके, उपाय किए जा सकते हैं. वैसे अब आप समझ गए होंगे कि शव को जलाने के वक्त उसके सर पर डंडा मारने की प्रथा क्यों बनाई गई. आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म में जितने भी रीति-रिवाज़ बनाए गए हैं उन सबके पीछे धार्मिक वजह छुपी हुईं हैं.