प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के बाद सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं में नए बदलाव की ओर बढ़ रही है। इसके लिए भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग ने डाटा बैंक भी तैयार कर लिया है जिसमें देश के पांच लाख से ज्यादा परिवारों को शामिल करते हुए एक साल का पूरा रिकॉर्ड बनाया है।
इसके तहत सरकार के पास सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के उपचार खर्च में मौजूदा अंतर से जुड़ी जानकारी एकत्रित हो चुकी है। प्राइवेट अस्पतालों में प्रति बेड मरीज का होने वाला खर्च, विभिन्न रोगों की ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थिति इत्यादि शामिल हैं।
इनके अलावा देश में एलोपैथी और आयुष उपचार सेवाओं का लाभ कितने प्रतिशत जनता को मिल रहा है? इस पर भी सरकार काम कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को सरल बनाने में जुटी है। इसके लिए नीति आयोग नई योजनाओं पर काम कर रहा है। हाल ही में आयोग ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड के जरिए जोडने का ड्राफ्ट तक जारी किया है।
आगामी 10 जनवरी तक इस ड्राफ्ट पर सलाह व आपत्ति भी मांगी है। साथ ही 21 जनवरी को इसे लेकर आयोग एक अहम बैठक भी करने जा रहा है।
जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच देश के सभी जिलों में सर्वे के बाद तैयार डाटा बैंक मंत्रालय को सौंप दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस डाटा बैंक का इस्तेमाल आगामी दिनों में स्वास्थ्य की नई योजनाओं में किया जाएगा। हालांकि इन योजनाओं के प्रारूप को फिलहाल गोपनीय रखा है।