सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा सराहनीय कदम उठाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली पूरी चयन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए, जिससे चयन प्रक्रिया से लेकर नियुक्ति तक में होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सके.
शीर्ष न्यायालय ने दूरगामी प्रभाव रखने वाले अपने एक आदेश में यह भी कहा कि सीसीटीवी कैमरे परीक्षा और साक्षात्कार केंद्रों में लगाए जाने चाहिए. साथ ही, उनके फुटेज तीन सदस्यीय एक स्वतंत्र कमेटी द्वारा जांच की जानी चाहिए. अदालत ने विशेष रूप से राज्य लोक सेवा आयोगों और राज्य चयन बोर्डों द्वारा सार्वजनिक पदों के लिए संचालित की जाने वाली चयन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी किए जाने का समर्थन किया, ताकि इस समूची कवायद की शुचिता कायम रह सके.
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सार्वजनिक पदों पर चयन की शुचिता के लिए यह जरूरी है कि चयन संस्थाओं, विशेष रूप से राज्य लोक सेवा आयोग और राज्य चयन बोर्डों द्वारा चयन की प्रक्रिया की यथासंभव वीडियोग्राफी कराई जाए.’ पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को अपने आदेश की एक प्रति कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेजने का निर्देश दिया है, ताकि इसे अनुपालन के लिए संबद्ध प्राधिकारों के पास भेजा जा सके. मेघालय से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय का यह आदेश आया है.
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