समूह ‘ग’ के पदों पर भर्ती की चाह रखने वालों के लिए बड़ी खबर...

समूह ‘ग’ के पदों पर भर्ती की चाह रखने वालों के लिए बड़ी खबर…

समूह ‘ग’ श्रेणी की सीधी भर्ती के लिए नए नियम बनेंगे। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इसकी पहल की है।समूह ‘ग’ के पदों पर भर्ती की चाह रखने वालों के लिए बड़ी खबर...

समूह ‘ग’ श्रेणी की सीधी भर्ती के लिए पहली बार शार्ट हैंड व टाइपिंग टेस्ट के नियम बनेंगे। जल्द ही विशेषज्ञों से सुझाव लेकर आयोग नियमावली तैयार करेगा। अभी तक सीधी भर्ती के लिए शार्ट हैंड व टाइपिंग परीक्षा के नियम नहीं बने हैं। 

चयन आयोग के माध्यम से होने वाली सीधी भर्ती में अधिकतर रिक्त पदों में शार्ट हैंड (आशुलेखन), हिंदी व अंग्रेजी टाइपिंग लिया जाता है। लेकिन इसके लिए कोई नियम नहीं है। वैयक्तिक सहायक के 120 पदों की शार्ट हैंड परीक्षा का मूल्यांकन सही न होने पर आयोग ने नियम बनाने का फैसला लिया है।

सीधी भर्ती की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए आयोग ने नियम बनाने की कवायद शुरू कर दी है। जिसमें टाइपिंग टेस्ट का साफ्टवेयर, अभ्यर्थियों को अपना की-बोर्ड लाने की अनुमति, शार्ट हैंड टेस्ट में डिक्टेशन के मानक, गलतियों पर मूल्यांकन का फार्मूला आदि तमाम बिंदुओं को नियमावली में शामिल किया जाएगा।

आयोग की ओर से 3 व 4 अप्रैल को विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसमें एनआईसी, आईटीडीए, आईटीआई, पॉलिटेक्नीक आदि विभाग अलावा इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से चर्चा कर सुझाव लिया जाएगा। इन सुझाव के आधारित पर चयन आयोग शार्ट हैंड व टाइपिंग टेस्ट के नियम का प्रस्ताव तैयार को सरकार की मंजूरी के लिए भेजेगा। 

चयन आयोग ने सिंचाई, ग्रामीण निर्माण व अन्य विभागों में वैयक्तिक सहायक 120 पदों के लिए वर्ष 2016 में लिखित परीक्षा आयोजित की थी। जिसें 317 अभ्यर्थियों को स्टेनोग्राफी परीक्षा के लिए चयनित किया गया। शार्ट हैंड टेस्ट का परिणाम घोषित करने के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने मूल्यांकन सही ढंग से  न होने पर आपत्ति जताई। इस पर आयोग ने परिणाम को स्थगित कर पुनर्मूल्यांकन किया। जिसमें शार्ट हैंड टेस्ट में पास हुए 24 अभ्यर्थी पुनर्मूल्यांकन में फेल हुए। इस तरह की गड़बड़ी पर रोक लगाने ने आयोग ने नियम बनाने की पहल की है। 

आयोग ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए शार्ट हैंड व टाइपिंग टेस्ट नियम बनाने का फैसला लिया है। नियम बनाने में विशेषज्ञों के सुझाव लिए जाएंगे। जिसके बाद नियमावली का प्रस्ताव बनाकर सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।

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