गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सोमवार को हो गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को कार्यक्रम के समापन में पहुंचना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वे नहीं पहुंच सके। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता रखना सिखाती है तथा भारतीय संस्कृति विभेदकारी न होकर समावेशी है क्योंकि इसमें आत्मा को आधार माना है।
गुरुकुल कांगड़ी मात्र एक विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि यहां आत्मबोध की शिक्षा दी जाती है। इसलिए गुरुकुल पर बड़ी जिम्मेदार है। भारतीय संस्कृति के वैभव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ने विश्व को नई दृष्टि दी है, क्योंकि इसने मानवता का दिव्यताकरण और दिव्यता का मानवीयकरण करने का कार्य किया है।
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ज्ञान की सभी शाखाओं में आध्यात्मिक दृष्टिकोण भारतीय ज्ञान परंपरा की देन है और हमें इस विरासत पर गर्व होना चाहिए।
वेद विज्ञान संस्कृति महाकुंभ के संरक्षक डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने ईश्वर, वेद और सत्य के लिए अपने जीवन को समर्पित किया था तथा उनके शिष्य स्वामी श्रद्धानंद ने देश की चेतना में भारतीयता के बीज रोपित किए। आजादी के आंदोलन में स्वामी श्रद्धानंद की अग्रणी भूमिका थी।
स्वागत संबोधन में कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने स्वामी दयानंद की 200वीं जयंती पर उपस्थित छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि प्रत्येक जन 200 लोगों तक वेदों का ज्ञान लेकर जाने का संकल्प लेना चाहिए।
इस अवसर पर गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद, डॉ. अजय मलिक, मुख्य संयोजक प्रो. प्रभात कुमार, प्रो अंबुज शर्मा, प्रो. सुचित्रा मलिक, प्रो.ओम प्रकाश पाण्डेय, प्रो. डीएस मलिक, डॉ. गगन माटा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. शिव कुमार चौहान, डॉ. अजित तोमर आदि उपस्थित रहे।
विकिपीडिया नहीं वैदिक पीडिया की आवश्यकता : चिदानंद मुनि
वेद विज्ञान संस्कृति महाकुंभ में ‘वसुधैव कुटुम्बकम एवं विश्व शांति का आधार भारतीय संस्कृति’ विषयक सत्र में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि देश की रियल जीडीपी किसान, संत और जवान हैं। आज वेद के मंत्र सम्पूर्ण विश्व को आलोकित कर रहे हैं। कहा कि वैदिक विचार वैश्विक विचार है। वेद भाषा विश्व भाषा है और वेद से उपजा बोध वैश्विक बोध है। उन्होंने कहा आज हमें विकिपीडिया के स्थान पर वैदिक पीडिया बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि वेद का ज्ञान विश्व को उपलब्ध हो सके और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
आर्य मनीषियों ने दिखाई तपोबल से समाज को दिशा : आचार्य बालकृष्ण
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महापुरुष संसार की विकृति से प्रेरित होकर सृजन करने का कार्य करते हैं। ऐसा ही कार्य स्वामी दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद ने किया था उन्होंने समाज को अपने तपोबल से नई दिशा दिखाई। स्वामी श्रद्धानंद का अनुगामी बनाना चाहिए और अनुगामी बनने के लिए साधन नहीं समर्पण की आवश्यकता है।
पश्चिम की संस्कृति ने दुनिया को बाजार माना : निशंक
हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि वेद के ज्ञान से ही संपूर्ण विश्व में सुख, शांति और समृद्धि संभव है। पश्चिम की संस्कृति दुनिया को बाजार मानती है और हमने विश्व को एक परिवार माना है। यह भेद हमें दुनिया से भिन्न करता है। कहा कि भारत ज्ञान की महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। गुरुकुल कांगड़ी मानव चरित्र निर्माण का कार्य करता है इसलिए नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन में गुरुकुल अन्य विश्वविद्यालयों का नेतृत्व करेगा।