निफ्टी हमारे 11,600 के लक्ष्य के पार चला गया है और इसलिए, भारत व विश्व में बाजार की दिशा की हर हफ्ते समीक्षा करना आवश्यक है, ताकि हमारे पाठक शेयर बाजार की स्थिति से अच्छी तरह अवगत हो सकें। अभी के लिए हमें बाजार में किसी बड़ी गिरावट या कमजोरी का कोई कारण नहीं दिख रहा है। आइए अब हम बाजार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं।
सबसे पहले, इस बात पर ध्यान दें कि अकेले अगस्त में एफपीआई (FPI) ने 46,600 करोड़ रुपये की खरीद की है और चालू कैलेंडर वर्ष में अब तक 35,600 करोड़ रुपये की खरीद हो चुकी है। मार्च और अप्रैल 2020 में लगभग 70,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली के बाद यह 8 महीने की शुद्ध खरीद है। इसका मतलब यह भी है कि बाजार में गिरावट तभी आएगी जब बहुत बुरी विनाशकारी खबर होगी, जैसे कि भारत-चीन युद्ध और इसकी कोई संभावना नहीं है, इसलिए हम निकट भविष्य में कम से कम कोई बड़ी गिरावट नहीं देखते हैं। बेशक, छोटी गिरावटों को खारिज नहीं किया जा सकता है, जो हमेशा खरीदने का अवसर देती हैं।
साथ ही हमें इस पर भी जरूर ध्यान देना चाहिए कि फेड ने मुद्रास्फीति में वृद्धि की अनुमति देने का रुख अपनाया है। दूसरे शब्दों में, उन्होंने अधिक Q E.(मात्रात्मक सहजता) का संकेत दिया है। इसमें पैसे की छपाई, बॉन्ड की खरीद और फ्री लिक्विडिटी डालना शामिल है, जिससे खरीद शक्ति अधिक मजबूत हो। इसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति बढ़ेगी। फेड द्वारा सिस्टम में डाली गई अधिकांश लिक्विडिटी कॉर्पोरेट और बैंक बांड खरीदने के कारण है और कॉर्पोरेट और बैंक इसे व्यापार के लिए और स्टॉक खरीदने के लिए उपयोग करते हैं। इससे लोन देना आसान हो रहा है।
हमने अनुमान लगाया था कि भारत में 60 अरब डॉलर का फ्लो होगा। इसलिए ही हमें एफपीआई द्वारा अगस्त में 6 अरब डालर की खरीद दिखी है। यह सिर्फ 10% है। अब आप आने वाले महीनों में धन के प्रवाह की कल्पना कर सकते हैं। इस गणित से लगता है कि खरीदारी सितंबर में भी जारी रहनी चाहिए।
अब हम वैल्यूएशन की ओर देखते हैं। एनएसई निफ्टी पीई 32.65 है, जबकि ब्लूमबर्ग पीई 29.25 है। ब्लूमबर्ग अधिक प्रामाणिक लगता है। वास्तव में, पीई में 26 से 29 तक अचानक वृद्धि शुद्ध रूप से Q1 में खराब संख्या के कारण हुई थी। फिर भी हम मानते हैं कि पीई वाजिब है, क्योंकि यह स्टैंडअलोन है। समेकित कमाई पर, यह 23.45 है, जो अधिक उचित है और DOW से तुलना योग्य है। वास्तव में, DOW PE 24.27 है, इसलिए भारत मूल्यांकन के संदर्भ में बहुत बेहतर है, क्योंकि भारत की वृद्धि US के उच्च पीई की तुलना में बहुत अधिक है। इसलिए इस मोर्चे पर भी हम सहज हैं।
कोविड-19 का प्रभाव हर जगह है, लेकिन हमने बेहतर तरीके से इसका जवाब दिया है और रिकवरी रेट भारत में काफी अधिक है। जहां तक उद्योग का संबंध है, हमने बहुत तेजी से इसे खोला है और इसलिए इस संबंध में, हम किसी भी अन्य देश से बेहतर हैं। इसलिए इस आधार पर भी कोई परेशानी नहीं है।
अब हम खुदरा भागीदारी के बारे में बात करते हैं। यह स्पष्ट रूप से गायब है। शेयरों में तेजी आ रही है, लेकिन रिटेल इसे भुनाने में असमर्थ रहा है। वे सभी जो बुल मार्केट के सामान्य नियम के खिलाफ कारोबार कर रहे थे, उन सभी ने पैसा कमाने के बजाय पैसे खो दिए हैं। क्रैश पर खरीदने की उम्मीद में उन्होंने निफ्टी के 9,500 के स्तर पर अपने डिलीवरी शेयर बेचे थे। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से उन्हें इन्हें फिर से खरीदने का कोई अवसर नहीं मिला। दूसरी तरफ एक बार बेचने के बाद वे उच्च कीमत पर खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकते थे। इस प्रकार वे लाभ को भुनाने के सुनहरे अवसर से वंचित हैं।
भारतीय कृषि गतिविधि कई गुना बढ़ गई और यहां तक कि मानसून भी सामान्य से ऊपर है। इसलिए कृषि आय में बंपर उछाल होगा। चीन की बात करें, तो अप्रत्याशित रूप से भारी बाढ़ के कारण चीनी उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ा है। चीन का 33% भाग पानी में डूबा है और वे भारत से स्टील, सीमेंट, लौह अयस्क और खनिज आयात करने के लिए मजबूर हैं। वहीं, दुनिया के अन्य देश, जो चीन से खरीदते थे, अब उन्होंने भारत से खरीदना शुरू कर दिया है। इसलिए यह हमारे लिए एक आशीर्वाद स्वरूप घटना है।
अंत में यही कहेंगे कि जब तक किसी बड़े कारण से गिरावट नहीं होगी, जब तक बाजार में बढ़त का सिलसिला नहीं थमेगा। अब हम आशा कर सकते हैं कि निफ्टी का नया उच्च स्तर 12,400 से अधिक का होगा। कई शेयर 20 मार्च से 20 अगस्त के बीच 300 से 1000 फीसद तक गए हैं, जिन पर हम एक निगाह रख सकते हैं। वहीं, कई शेयर अब चलना शुरू करेंगे, जिन पर निवेश किया जा सकता है।