गैंगस्टर विकास दुबे ने 8 पुलिसवालों के शूटआउट पर बड़ा खुलासा किया है. विकास ने बताया कि घटना के बाद घर के ठीक बगल में कुएं के पास पांच पुलिसवालों की लाशों को एक के ऊपर एक रखा गया था जिससे उनमें आग लगा कर सबूत नष्ट कर दिए जाएं.
आग लगाने के लिये घर में गैलनों में तेल रखा गया था. उन सब के शव तेल से जलाने का इरादा था लेकिन लाशें जमा करने के बाद उसे मौक़ा नहीं मिला, फिर वो फ़रार हो गया. उसने अपने सभी साथियों को अलग-अलग भागने के लिये कहा था.
विकास ने बताया कि गांव से निकलते वक्त ज्यादातर साथी जिधर समझ में आया भाग गये. हम लोगों को सूचना थी कि पुलिस भोर सुबह आयेगी लेकिन पुलिस रात में ही रेड करने आ गई. हमने खाना भी नहीं खाया था जबकि सबके लिये खाना बन चुका था.
घटना के अगले दिन मारा गया विकास का मामा जेसीबी मशीन का इंचार्ज था लेकिन वो जेसीबी नहीं चला रहा था. रात में राजू नाम के एक साथी ने जेसीबी मशीन को बीच सड़क मे पार्क किया था. मामा को अगले दिन पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था.
विकास दुबे ने कहा कि चौबेपुर थाना ही नहीं, पास के थानों में भी उसके मददगार थे जो तमाम मामलों में उसकी मदद करते थे.
उसने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान चौबेपुर थाने के तमाम पुलिसवालों का मैंने बहुत ख़्याल रखा, सबको खाना पीना खिलाना और दूसरी मदद भी करता था.’
बता दें कि 2 जुलाई की रात 8 पुलिसवालों को मारकर गैंगस्टर विकास दुबे कानपुर से फरार हो गया था. इस दौरान वह उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान की सीमा पार करते हुए 9 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन में दिखा जहां मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है.