सरकार के तमाम कदम उठाने के बाद भी देश में हाथ से मैला उठाने और बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर की सफाई करने का काम अभी तक बंद नहीं हुआ है। इसी कारण केंद्र सरकार ने दो बड़े फैसलों किए हैं। सामाजिक न्याय मंत्रालय मशीन से सीवर की सफाई को अनिवार्य बनाने जा रहा है। वहीं, शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज’ शुरू किया है, ताकि किसी भी व्यक्ति को सीवर या सेप्टिक टैंक में प्रवेश ना करना पड़े।
सरकार के कई नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार, बिना पर्याप्त सुरक्षा सावधानी बरते हुए सीवर लाइनों और सेप्टिक टैंकों में हाथ से सफाई करने पर रोक लगी हुई है। हालांकि, इसके बाद भी पिछले पांच सालों में 800 सफाईकर्मियों की मौत सीवर लाइनें साफ करने के दौरान हुई है।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘विश्व शौचालय दिवस’ के अवसर पर 243 प्रमुख शहरों के बीच ‘सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज’ का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के आयोजन में बोलते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता सचिव आर सुब्रमण्यम ने कहा कि ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार का निषेध और पुनर्वास अधिनियम’ में मौलिक परिवर्तन यह होगा कि अब मशीनीकृत सफाई को अनिवार्य बनाया जाएगा।
सुब्रमण्यम ने कहा कि मंत्रालय ठेकेदारों या नगरपालिकाओं को मशीनरी खरीदने के लिए धन मुहैया नहीं कराएगा, बल्कि सफाई कर्मचारियों को धन मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि सफाई कर्मचारी इन मशीनों के मालिक हों ताकि आवश्यकता होने पर इनका उपयोग नगरपालिकाओं द्वारा किया जा सके।
शहरी मामलों के सचिव डी एस मिश्रा ने मशीन होल शब्द के साथ मैनहोल शब्द को बदलने के लिए राज्यों और शहर के प्रशासन से अपील की कि वह इस पूरे मुद्दे पर काम करे। वहीं, राज्य सरकारों ने 31 अप्रैल, 2021 तक सभी सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के संचालन को यंत्रीकृत करने का संकल्प लिया है।