यदि मंगल पर्वत चंद्र पर्वत से दबा हो तो उसके परिणाम दूसरे मिलते हैं। इस स्थिति में यदि व्यक्ति को सफलता नहीं मिले तो वह चिड़चिड़ा होने लगता है। उसका व्यवहार बदल जाता है।
इस पर्वत पर यदि कोई भी अशुभ चिह्न हो तो व्यक्ति को आर्थिक मुसीबतों के साथ-साथ पारिवारिक दिक्कतें भी झेलनी पड़ती हैं। इसके उसकी वाणी प्रभावित होती है। नकारात्मक मंगल वाले व्यक्ति अन्य सभी से अधिक चलायमान दिमाग वाले होते हैं, इस वजह से किसी व्यवसाय में उनके अधिक दिनों तक टिके रहने की उम्मीद कम ही होती है। यदि साथ में एक अच्छी मस्तक रेखा हो तो संसार में ऐसा कोई परिश्रम नहीं है, जिस काम में वह सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। ऐसे लोग अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
हस्तरेखा विज्ञान में मंगल पर्वत के दो स्थान होते हैं। इससे समझा जा सकता है कि मंगल कितना शक्तिशाली और प्रमुख पर्वत है। मंगल पर्वत को हथेली में दो स्थानों पर माना जाता है-एक ऊपर और दूसरा नीचे। एक उच्च का पर्वत होता है और दूसरा नीच का होता है। उच्च मंगल पर्वत हृदय रेखा जहां से शुरू होती उसके ऊपर स्थित होता है जबकि नीच का मंगल जहां से जीवन रेखा शुरू होती है, वहां से कुछ ऊपर होता है।
ऊपर के मंगल का ज्यादा उन्नत और उभरा होना व्यक्ति में आक्रामकता एवं साहस को बढ़ावा देता है क्योंकि वह सेनापति हैं। ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रयत्न करते रहते हैं और अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते। इस स्थान पर किसी वृत्त, दाग या तिल का होना इसे और ज्यादा पुष्ट करता है।
बुरे वक्त में विचलित नहीं होते उच्च मंगल पर्वत वाले लोग
बुरा वक्त अच्छे से अच्छे व्यक्ति को परेशान कर देता है। इससे व्यक्ति पूरी तरह से परेशान हो जाता है लेकिन आपने देखा होगा कि तमाम व्यक्ति बुरे वक्त में भी विचलित नहीं होते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार जिन लोगों की हथेलियों में उच्च का मंगल पर्वत होता है, वह बुरे वक्त में भी धैर्य नहीं खोते हैं
क्रॉस का निशान होने पर हमेशा रहता सिरदर्द और थकान
इसके अतिरिक्त मंगल पर्वत पर कोई क्रॉस का निशान या द्वीप होना जातक को सिरदर्द, थकान, गुस्सा जैसी समस्याएं देता है। इससे जातक का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि यह पर्वत अविकसित हो तो जातक के अवसाद का मरीज होने की आशंका बनी रहती है।
ऊपर का मंगल यदि बुध पर्वत की ओर खिसका हो तो जातक का स्वभाव उग्र हो जाता है। वह हमेशा अपने को एक कुशल योद्धा समझता है। इसके कारण जातक के शरीर में चोट लग सकती है अथवा चीरफाड़ हो सकती है।
ऐसे शख्स का अत्याधिक मात्रा में रक्त भी बह सकता है। मंगल पर्वत से निकलकर कोई रेखा यदि जीवनरेखा तक आए तो वह रेखा को जीवन रेखा जहां काट रही हो, उस समय तथा उम्र में किसी दुर्घटना अथवा लड़ाई में अपने शरीर का कोई अंग भी गंवा सकता है। ऐसे में जातक को इससे बचाव करने के उपाय करना चाहिए।