कहते हैं सुंदरकांड में हनुमानजी ने सफलता के सूत्र बताए हैं और आप इनकी मदद से सफल हो सकते हैं.
सफलता के सूत्र – कहा जाता है ”सुंदरकांड में जब हनुमानजी सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे, तब उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने हनुमानजी को समुद्र पार करने से रोकना चाहा था, लेकिन बजरंग बली नहीं रुके और लंका तक पहुंच गए. दैनिक जीवन में हमें भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें रुकना नहीं चाहिए. लगातार आगे बढ़ते रहने से ही हम कामयाब हो सकते हैं.”
बुद्धिमानी से लेना चाहिए काम – कहा जाता है सुंदरकांड में लिखा है ”जब सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका तो उन्होंने उससे लड़ने में समय नहीं गंवाया. सुरसा हनुमानजी को खाना चाहती थी. उस समय हनुमानजी ने जोश से नहीं, बुद्धि का उपयोग किया. हनुमानजी सुरसा से युद्ध भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने अपने शरीर का आकार बढ़ा लिया. हनुमानजी का आकार देखकर सुरसा ने भी अपना मुंह हनुमानजी के आकार से भी ज्यादा बढ़ा कर लिया. तब हनुमानजी ने अचानक अपना रूप छोटा कर लिया. छोटा रूप करने के बाद हनुमानजी सुरसा के मुंह में प्रवेश करके वापस बाहर आ गए. हनुमानजी की इस बुद्धिमानी से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया. हमें भी व्यर्थ समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, बुद्धि का उपयोग करके ऐसी बाधाओं से बच सकते हैं.”
स्वास्थ्य का रखें ध्यान – कहते हैं सुंदरकांड में लिखा है ”हनुमानजी आजीवन ब्रह्मचारी रहे और उनका जीवन संयमित है. संयमपूर्वक रहने की वजह ही वे बहुत ताकतवर और स्वस्थ हैं. इसी के साथ हमारे जीवन में खान-पान और रहन-सहन सबकुछ असंयमित हो रहा है. कहा जाता है असंयमित दिनचर्या के कारण गंभीर रोगों का डर लगा रहता है और संयम के साथ कैसा रहना चाहिए, ये बात हम हनुमानजी से सीख सकते हैं.”