किसी रचनाकार ने देश पर बड़ी खूबसूरत पंक्तियां अभिव्यक्त की हैं।
‘देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें।
पथिकों को तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया,
सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला,
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें।’
सचमुच! देश व समाज हमें इतना कुछ देता है कि हम ताउम्र उसकी सेवा करें तो कम है। लेकिन आज विडंबना यह है कि देशप्रेम, देशभक्ति या देशसेवा जैसे शब्द जेहन में आते ही सबसे पहले जो छवि सामने आती है वो है एक सैनिक की। यानी जब भी देशसेवा का जिक्र हो तो उसका सीधा सा अर्थ आम नागरिक सेना के जवान से ही लेता है। ये सही है कि सैनिक देश की सेवा करते हैं वे सीमा प्रहरी भी हैं।
लेकिन ये भी सही है कि हममें से प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से देश की सेवा कर सकता है, यदि वह चाहे तो। उदाहरण के लिए देश की उन्नति में सबसे बड़ी बाधक सुरसा के मुख की तरह फैलती जनसंख्या पर नियंत्रण करना भी देश की सबसे बड़ी सेवा होगी, जिसके बारे में हर राष्ट्र हितैषी सोच सकता है।
इसके अलावा कई ऐसी बातें हैं जो देखने में बड़ी छोटी नजर आती है लेकिन यदि हम ध्यान दें तो इन पर अमल कर हम वास्तव में देश की सेवा ही करेंगे।
1
यथासंभव पानी बचाएं। इससे प्राणी मात्र के साथ-साथ देश का भी हित होगा।
यथासंभव पानी बचाएं। इससे प्राणी मात्र के साथ-साथ देश का भी हित होगा।
2
पौधारोपण करें और वृक्ष न काटें।
3
अपने वाहन उचित रखरखाव से रखें। इससे प्रदूषण नहीं होगा तो पर्यावरण ठीक रहेगा और इससे देश समृद्ध रहेगा।
अपने वाहन उचित रखरखाव से रखें। इससे प्रदूषण नहीं होगा तो पर्यावरण ठीक रहेगा और इससे देश समृद्ध रहेगा।
4
पॉलिथीन का प्रयोग न करें। यह भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है।
5
आने वाली पीढ़ी को शिक्षित व संस्कारवान बनाएं। अच्छे नागरिक ही देश को बेहतर बनाते हैं।
आने वाली पीढ़ी को शिक्षित व संस्कारवान बनाएं। अच्छे नागरिक ही देश को बेहतर बनाते हैं।
6
सार्वजनिक स्थलों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझें। सड़क पर यदि आपने गंदगी ढेर कर रखी है तो उसकी सफाई व रखरखाव पर खर्च सरकारी ही होना है, यानी देश का नुकसान।
सार्वजनिक स्थलों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझें। सड़क पर यदि आपने गंदगी ढेर कर रखी है तो उसकी सफाई व रखरखाव पर खर्च सरकारी ही होना है, यानी देश का नुकसान।
7
नोट को गड्ड-मड्ड करके रखने की बजाय सीधा पर्स में रखें। जितना आप करेंसी को सुरक्षित रखेंगे वह लंबे समय तक चलेगी व देश का फायदा होगा।
नोट को गड्ड-मड्ड करके रखने की बजाय सीधा पर्स में रखें। जितना आप करेंसी को सुरक्षित रखेंगे वह लंबे समय तक चलेगी व देश का फायदा होगा।
8
सारे कर/टैक्स समय पर अदा करें, देश निश्चय ही समृद्ध होगा।
सारे कर/टैक्स समय पर अदा करें, देश निश्चय ही समृद्ध होगा।
9जहां-जहां टिकट खरीदना अनिवार्य है, जैसे प्लेटफार्म वगैरह वहां अवश्य टिकट खरीदें। आप टिकट न खरीदकर 2 रुपए बचाने पर खुश होते हैं, लेकिन ऐसे कई 2-2 रुपए की हमारी बचत देश को घाटे में डालती है।
10
चुनावों के समय मतदान अवश्य करें। ये आपका अधिकार ही नहीं, अपितु दायित्व भी है। और हमेशा याद रखें कि दुर्जनों की सक्रियता से अधिक खतरनाक सज्जनों की निष्क्रियता होती है और ये देशहित में नहीं है।
चुनावों के समय मतदान अवश्य करें। ये आपका अधिकार ही नहीं, अपितु दायित्व भी है। और हमेशा याद रखें कि दुर्जनों की सक्रियता से अधिक खतरनाक सज्जनों की निष्क्रियता होती है और ये देशहित में नहीं है।
11
हम सक्षम हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि बिजली का दुरुपयोग ही किया जाए। जितनी आप बिजली बचाएंगे उतनी ही देश की प्रगति में सहायक होंगे।
हम सक्षम हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि बिजली का दुरुपयोग ही किया जाए। जितनी आप बिजली बचाएंगे उतनी ही देश की प्रगति में सहायक होंगे।
12
कभी भी बंद में शामिल न हों, न ही उसका समर्थन करें। हड़ताल वो दीमक है जो देश को भीतर से खोखला करता है। बंद व उसकी प्रतिक्रिया की हिंसा दोनों ही देश की करोड़ों की संपत्ति के नुकसान के लिए जवाबदार हैं। बंद को बंद करके भी देशसेवा की जा सकती है।
कभी भी बंद में शामिल न हों, न ही उसका समर्थन करें। हड़ताल वो दीमक है जो देश को भीतर से खोखला करता है। बंद व उसकी प्रतिक्रिया की हिंसा दोनों ही देश की करोड़ों की संपत्ति के नुकसान के लिए जवाबदार हैं। बंद को बंद करके भी देशसेवा की जा सकती है।
13
रिश्वत न लें, न दें। आपके लिए चंद हजार रुपए अनमोल नैतिकता को नष्ट कर देते हैं। यह राष्ट्र चरित्र के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है।
रिश्वत न लें, न दें। आपके लिए चंद हजार रुपए अनमोल नैतिकता को नष्ट कर देते हैं। यह राष्ट्र चरित्र के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा है।
केवल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहार मनाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री न समझ लें। जातिवाद को बढ़ावा न देकर राष्ट्रवाद को अपनाएं। हर दिन, हर छोटे-बड़े कार्य में देशहित का सोचें व उस पर अमल करें तो शायद बिना वर्दी के भी सच्ची देशभक्ति होगी।