सचिन तेंदुलकर ने स्वयं भी काफी कम उम्र में ही सफलता हासिल कर ली थी और उन्हें पृथ्वी शॉ की विलक्षण प्रतिभा को पहचाने में भी अधिक समय नहीं लगा. तेंदुलकर ने पृथ्वी की प्रतिभा को आठ साल की उम्र में ही पहचान लिया था और उन्होंने उसे कहा था कि कोई कोच उसकी नैसर्गिक तकनीक को नहीं बदले.
तेंदुलकर अपने अपनी ऐप ‘100 एमबी’ पर कहा, ‘मैंने उसे कहा था कि भविष्य में उसके कोच उसे जितने की निर्देश दें वह अपनी ग्रिप या स्टांस नहीं बदले. अगर कोई तुम्हें ऐसा करने के लिए कहे तो उसे कहना कि वह मझसे से बात करे. कोचिंग देना अच्छा होता है, लेकिन किसी खिलाड़ी में अत्यधिक बदलाव करना नहीं.’
इस पूर्व महान बल्लेबाज ने कहा, ‘यह बेहद महत्वपूर्ण है कि जब आप ऐसे विशेष खिलाड़ी को देखें, तो कुछ बदलाव नहीं करें. यह भगवान का तोहफा है.’
पृथ्वी शॉ को पहली बार खेलते हुए देखने के बाद तेंदुलकर ने अपने मित्र से कहा था, ‘तुम देख रहे हो? यह भविष्य का भारतीय खिलाड़ी है.’ इस साल 18 साल के पृथ्वी की अगुआई में भारत ने अंडर 19 विश्व कप जीता. उन्होंने 14 प्रथम श्रेणी मैचों में सात शतक की मदद से 56.72 की औसत के साथ 1418 रन बनाए हैं.