कुछ लोगों का मन बार- बार इधर इधर उधर भटकता रहता है। आप इसे बार-बार मूड बदलना भी कह सकते हैं। माना जाता है कि यह समस्या आत्मविश्वास में कमी के कारण होती है। कई बार यह समस्या इतनी कठिन हो जाती है कि सफलता की राह में बाधा बनकर खड़ी हो जाती है।
कई बार लोगों के मन कई तरह के सवाल व उल्झनें चलती रहती हैं लेकिन वह खुलकर इस पर किसी से बात नहीं कर पाते। ऐसे लोगों के लिए विद्वान लोगों ने समाधान निकाला है। सफल होने के लिए जरूरी है आप सबसे पहले आप इस दुविधा या संशय को हराएं।
अपने भीतर मौजूद संशय से निपटने में यहां दी गई चार बातें मदद कर सकती हैं-
1- फैसले पर अडिग रहें
जब आपके पास किसी काम को लेकर एक या एक से अधिक अवसर तों सबसे पहले यह सोचें कि कौन सा ऑप्शन आपके लिए बेहतर है और इसे आप क्यों करना चाहते हैं। इसके बाद आप जिस काम को करें उस पर अफसोस न करें, बल्कि यह सोचे की आपने वह किसी जिसके बारे में फैसला किया चाहे फायदा हो या नुकसान।
2- खुद से सवाल करें
दुविधा होने पर खुद से सवाल करें कि वह किसी काम को क्यों नहीं कर पाएंगे या उसमें क्या समस्या आएगी। इसके बाद जब आपको लगे कि दुविधा का यह डर स्थाई नहीं है तब एकाग्रता और लगन के साथ अपने काम में जुट जाएं।
3- सत्य बदला नहीं जा सकता-
सत्य की राह पर चुनौती से न डरें- यदि कोई काम करने जा रहे हैं और उस आने वाली बाधाओं को सोचकर डर लग रहा है तो यह देखें कि जो आप करने जा रहें वह सत्य और न्यायसंगत है। यदि ऐसा है तो आप राह की बाधाओं से कदापि न डरें। क्योंकि सत्य कोई नहीं बदल सकता।
4- समस्या को लिखें
यदि समस्या का समाधान सोचने पर न निकल रहा हो तो आप आगे तो करना चाहते हैं उसके बारे में प्लान बनाएं और उस प्लान को दृढ़ता से अमल करें। समस्याओं को लिखने का महत्व यह भी होता है कि मन में चल रही उल्झनें बाहर निकल जाती हैं।