13 दिसंबर को चार प्रदर्शनकारी सुरक्षा को भेदते संसद में घुस गए थे। संसद के अंदर और बाहर कलर्ड स्मोक छोड़ा था। जमकर नारेबाजी की थी। इस मामले का मास्टरमाइंड कहे जा रहे दरभंगा के अलीनगर थाना क्षेत्र निवासी निवासी ललित झा के माता-पिता का कहना है कि वह ऐसा नहीं कर सकता है। वह निर्दोष है। उसने घर या बाहर में ऐसी कोई हरकत नहीं की थी, जो संदिग्ध हो। वह कोचिंग में पढ़ाता था। कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली। मां मंजुला झा ने कहा कि मेरा बेटा बहुत सीधा-साधा है। हमको गाड़ी में बैठा दिया और वह दिल्ली चला गया। उन्होंने बताया कि कोलकाता के बड़ा बाजार थाना के कहने पर निर्दोष लोगों अभीतक तीन बार ब्लड डोनेट तक कर चुका है। वह ऐसा नहीं कर सकता। हमको कुछ समझ मे नही आ रहा है। हमलोग कोर्ट में न्याय की गुहार लगाने के लिए जाएंगे।
गरीबी के कारण आगे पढ़ नहीं पाया, ट्यूशन पढ़ाने लगा
आरोपी ललित झा के पिता देवानन्द झा ने बताया कि इंटर की पढ़ाई के बाद ललित से मेडिकल परीक्षा की तैयारी करने लिए बोले लेकिन हमलोगों की गरीबी के कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। इसके बाद वह कोलकाता में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा। दरभंगा के अलीनगर में उनका पैतृक मकान है। लेकिन, वह सपरिवार काफी लंबे समय से कोलकाता में रहकर पुजारी का काम किया करते है। लेकिन देवानंद खेती-बाड़ी के काम से गांव आते रहते हैं।
पिता बोले- घटना के बाद से परिवार हैरान, कुछ समझ नहीं आ रहा
पिता देवानंद झा ने कहा कि बेटे के बारे में जो जानकारी मिल रही है, उससे पूरा परिवार हैरान है। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि अचाकन यह क्या हो गया? गांव के लोग भी स्तब्ध हैं। पुलिस के अनुसार ग्रामीणों ने बताया कि ललित के पिता देवानंद झा पश्चिम बंगाल में रहकर पूजा-पाठ कराते हैं। यही उनकी आजीविका का साधन है। ललित तीन भाइयों में मंझला है। उसका बड़ा भाई सोनू झा बंगाल में ही कपड़े की दुकान में नौकरी करता है। छोटा भाई शंभू झा बिजली मिस्त्री का काम करता है।
तीनों बेटे में से किसी के विरुद्ध थाने में आपराधिक मामला दर्ज नहीं हैं
बेनीपुर के प्रभारी एसडीपीओ मनीष चंद्र चौधरी के निर्देश पर बहेड़ा थाने की पुलिस ने शुक्रवार को ललित के घर की छानबीन की तथा उसके पिता से गहन पूछताछ की। ललित के 70 वर्षीय पिता देवानंद झा ने बताया कि मैं कोलकाता में रहकर पंडिताई का काम करता हूं। मेरे तीन पुत्र बड़ा सोनू झा, मझला ललित झा एवं छोटा शंभू झा के विरुद्ध किसी भी थाने में आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। उन्होंने कहा कि ललित गत 10 दिसंबर को कोलकाता से घर रामपुर उदय अपनी पत्नी के साथ आया था। उसी दिन वह यहां से दिल्ली चला गया। मीडिया व प्रशासन के माध्यम से अपने बेटे की करतूत की जानकारी मिली तो चेहरा शर्म से झुक गया। गांव के लोग भी आश्चर्य कर रहे हैं कि सज्जन पंडित परिवार के बेटे ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम कैसे दे दिया। उधर, कई ग्रामीणों का कहना है कि ललित ने बेरोजगारी या किसी गलत व्यक्ति के बहकावे में आकर इस घटना को अंजाम दिया है।