आयकर प्रविधानों को सरल ढंग से पेश करने के लिए बनाए गए आयकर विधेयक, 2025 को बृहस्पतिवार को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। इस विधेयक में आकलन वर्ष जैसी जटिल शब्दावली की जगह कर वर्ष की संकल्पना रखी गई है। नए विधेयक में 536 धाराएं, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां हैं। यह सिर्फ 622 पृष्ठों पर अंकित है।
नया आयकर कानून एक अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद
यह विधेयक न केवल कर प्रणाली को सरल बनाने का प्रयास है, बल्कि करदाताओं के लिए इसे अधिक पारदर्शी और समझने योग्य भी बनाता है। दरअसल पिछले 60 वर्षों में किए गए संशोधनों के कारण मौजूदा आयकर अधिनियम बहुत बड़ा हो गया है। नया आयकर कानून एक अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है।
नए विधेयक में फ्रिंज बेनेफिट टैक्स से संबंधित अनावश्यक धाराओं को हटा दिया गया है। विधेयक में छोटे वाक्यों का उपयोग किया गया है और तालिकाओं एवं सूत्रों के उपयोग से इसे पढ़ने के अनुकूल बनाया गया है। टीडीएस, अनुमानित कराधान, वेतन और फंसे कर्ज के लिए कटौती से संबंधित प्रविधानों के लिए तालिकाएं दी गई हैं।
वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा
नया आयकर विधेयक, 2025 लोकसभा में पेश किए जाने के बाद इसे आगे के विचार-विमर्श के लिए वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। नए विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के ब्योरे में कहा गया है कि 1961 में पारित आयकर अधिनियम में 60 साल पहले पारित होने के बाद से कई संशोधन किए गए हैं।इन संशोधनों की वजह से आयकर अधिनियम की मूल संरचना पर अत्यधिक बोझ पड़ा है और भाषा जटिल हो गई है। इसे ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 के बजट में एलान किया था कि आयकर अधिनियम, 1961 की समयबद्ध व्यापक समीक्षा की जाएगी। उसी घोषणा के अनुरूप नए विधेयक का खाका तैयार किया गया है।
नए विधेयक की मुख्य विशेषताएं
आयकर विधेयक, 2025 में सरल भाषा का उपयोग किया गया है। इसमें अनावश्यक प्रविधानों को हटाया गया है, छोटे वाक्यों का उपयोग किया गया है।
विधेयक में कोई नया कर नहीं है। इसमें सिर्फ आयकर अधिनियम, 1961 में प्रदत्त कर-देयता प्रविधानों को एक साथ रखा गया है।
इसमें मात्र 622 पृष्ठों में 536 धाराएं, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां हैं, जबकि 1961 के अधिनियम में 298 धाराएं, 23 अध्याय और 14 अनुसूचियां थीं।
इसमें व्यक्तियों, हिन्दू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) और अन्य के लिए पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था दोनों शामिल हैं।
नए विधेयक में कर वर्ष का उपयोग किया है। इसमें पूर्व वर्ष और आकलन वर्ष जैसे जटिल शब्दों को हटाया गया है।
स्पष्टीकरण या शर्त का उल्लेख नहीं किया गया है, इसके बजाय तालिकाओं और सूत्रों का उपयोग किया गया है।
विधेयक में करदाता चार्टर शामिल किया गया है, जो करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को बताएगा।
विधेयक में बाजार से जुड़े डिबेंचर के मामले में पूंजीगत लाभ की गणना के लिए विशेष प्रविधान किया गया है।
नियमों को सरल बनाने के मकसद से कुल आय का हिस्सा न बनने वाली आय को अनुसूचियों में स्थानांतरित किया गया है।
वेतन से कटौतियां जैसे मानक कटौती, ग्रेच्युटी, अवकाश न लेने के बाद नकद भुगतान आदि को अलग-अलग अनुभागों/नियमों में रखे जाने के बजाय एक ही स्थान पर सारणीबद्ध किया गया है।
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