‘संविधान हत्या दिवस’ को लेकर बिहार की सियासत गरमाई

पटना: केंद्र की मोदी सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वहीं, संविधान हत्या दिवस को लेकर बिहार की सियासत गरमा गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर जमकर प्रहार कर रहा है।

कांग्रेस के असली चेहरे को दिखाना जरूरी: सिन्हा
विजय सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के लोगों ने देश के संविधान को जिस तरह से तार-तार करने की कोशिश की ये एक प्रकार की हत्या है और ऐसे लोग संविधान को छाती से लगाकर घूम रहे थे। जो संविधान के हत्यारे हैं। वो संविधान बचाने की बात कर रहे थे। आने वाली पीढ़ी को ये भ्रमित करते हैं तो उस पीढ़ी को याद दिलाना है कि संविधान का हत्यारा कौन है? हम संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने के फैसले का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि हमने संविधान की हत्या होने का दंश झेला है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाए जाने को उचित मानते हुए कहा कि आपातकाल लागू करके लोकतंत्र की हत्या की गई थी। आपातकाल में कई लोगों को बिना किसी गलती के सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। ‘संविधान हत्या दिवस’ लोकतंत्र को बचाने के लिए यह व्यवस्था की गई है।

कांग्रेस और राजद में आक्रोश
वहीं, सरकार के इस फैसले से कांग्रेस के साथ-साथ राजद में आक्रोश है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री एक बार फिर हिपोक्रेसी से भरी एक हेडलाइन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दस वर्षों तक देश में अघोषित आपातकाल लगाया और अब पाखंड में एक और सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं।

इधर, राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने तो ईडी सीबीआई के माध्यम से संविधान को तार-तार करने का काम किया है।

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