संभोग के दौरान महिलाऐं प्रेग्नेंट कैसे होती और बच्चा कैसे पैदा होता…

गर्भधारण के लिए ओव्यूलेशन (Ovulation) के बाद 24 घंटे का समय शुक्राणुओं द्वारा अंडाणु को निषेचित करने के लिए शेष रहता है, इसके अलावा सेक्स करने के बाद लगभग 6 दिन से पहले ओव्यूलेशन होना आवश्यक होता है। अतः गर्भधारण (pregnancy) एक जटिल प्रक्रिया है। अतः जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहतीं हैं या फिर प्रेग्नेंट होने से बचना चाहती, तो उन्हें गर्भधारण की प्रक्रिया और ओव्यूलेशन की स्थिति का ज्ञान होना आवश्यक होता है। जिससे कि एक उचित और प्रभावी तरीके से अपने आपको तैयार करने में मदद मिल सके।आप जानेंगे कि प्रेग्नेंट कैसे होते हैं या बच्चा कैसे पैदा होता है, गर्भधारण कैसे होता है, इसकी प्रक्रिया क्या है, तथा गर्भावस्था से सम्बंधित लक्षणों के बारे में।

गर्भधारण कैसे होता है –
गर्भधारण (pregnancy) होने के लिए, शुक्राणु को एक अंडाणु के साथ मिलना होता है। गर्भावस्था आमतौर पर तब शुरू होती है, जब एक निषेचित अंडे (fertilized egg) का गर्भाशय के अस्तर में प्रत्यारोपण होता है। गर्भधारण (pregnancy) के लिए सेक्स करने के बाद 2-3 सप्ताह तक का समय लगता है।

गर्भावस्था वास्तव में एक बहुत जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण होते हैं गर्भधारण की प्रक्रिया शुक्राणु कोशिकाओं और एक अंडाणु से शुरू होता है।

शुक्राणु (Sperm), अंडकोष (testicles) में निर्मित होने वाली सूक्ष्म कोशिकाएं होती हैं। शुक्राणु अन्य तरल पदार्थों के साथ मिलकर वीर्य (semen) का निर्माण करते हैं। स्खलन के दौरान वीर्य के साथ-साथ लाखों शुक्राणु लिंग से बाहर निकलते हैं, लेकिन गर्भधारण के लिए अंडाणु के साथ केवल 1 शुक्राणु कोशिका का मिलना ही काफी होता है।

अंडाणु मादा प्रजनन कोशिका है, जो अंडाशय (ovaries) में पाए जाते है, और मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन के कारण प्रत्येक महीने कुछ अंडाणु परिपक्व (mature) हो जाते हैं। परिपक्व अंडाणु ही शुक्राणु कोशिका द्वारा निषेचित (fertilized) हो सकता है। मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन महिलाओं में गर्भाशय के अस्तर को मोटा और स्पंजी बनाते हैं, जिससे सम्बंधित महिला गर्भावस्था धारण कर सकती है।

गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है 
चिकित्सकीय स्थिति के अनुसार गर्भावस्था तब शुरू होती है जब एक निषेचित अंडाणु, गर्भाशय की अस्तर में प्रत्यारोपित होता है। गर्भधारण की प्रक्रिया या गर्भावस्था के तीन चरण होते हैं:

गर्भधारण की प्रक्रिया में ओव्यूलेशन
अंडाशय से एक परिपक्व अंडाणु जारी होने की प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहते हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान अंडाशय के अंदर अंडाणु परिपक्व होते हैं। तथा हर 28 दिनों में अंडाशय से एक परिपक्व अंडाणु निकलता है, जिसे ओव्यूलेशन कहा जाता है। अंडाणु जारी होने के बाद, यह फैलोपियन ट्यूब में लगभग 12 से 24 घंटे तक गति करता हुआ आगे बढ़ता है। यदि इस समय के दौरान अंडाणु निषेचित नहीं हो पाता, तो अंडाणु का विघटन हो जाता है और 2 सप्ताह बाद पीरियड (period) शुरू हो जाते हैं।

गर्भधारण की प्रक्रिया में निषेचन
अंडाणु का शुक्राणु कोशिका के साथ मिलने की क्रिया को निषेचन (Fertilization) कहा जाता है। फैलोपियन ट्यूब में केवल परिपक्व अंडाणु को ही निषेचित किया जा सकता है। निषेचन (Fertilization) तब होता है, जब एक लिंग (penis) द्वारा योनि के अंदर वीर्य स्खलन होता है। वीर्य में उपस्थित शुक्राणु गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय की ओर फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गति करता है। सेक्स के बाद शुक्राणु 6 दिन तक सक्रीय होते हैं, अतः अंडाणु से निषेचन करने के लिए शुक्राणु के पास 6 दिन का समय होता है। अतः जब 24 घंटे से कम समय का परिपक्व अंडाणु, शुक्राणु के संपर्क में आता है, तो अंडाणु निषेचित किया जा सकता है। कभी-कभी निषेचन कृत्रिम रूप से भी कराया जा सकता है।

गर्भधारण की प्रक्रिया में प्रत्यारोपण
निषेचित अंडाणु का गर्भाशय के अस्तर के साथ जुड़ने की क्रिया इम्प्लांटेशन (Implantation) कहलाती है। अंडाणु का निषेचन फैलोपियन ट्यूब में होता है। निषेचित अंडाणु अधिक से अधिक कोशिकाओं में विभाजित होकर एक गेंद (जिसे ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) कहा जाता है) का निर्माण करता है, जो निषेचन के लगभग 3-4 दिनों के बाद गर्भाशय में पहुंचती है। निषेचित अंडाणु 2 से 3 दिनों के लिए गर्भाशय में तैरते हैं। यदि इस दौरान यह गर्भाशय के अस्तर से जुड़ जाते हैं, तो गर्भावस्था प्रारंभ हो जाती है। निषेचन के लगभग 6 दिन बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू होती है, और इसे पूरा होने में लगभग 3 से 4 दिनों का समय लगता है। जब निषेचित अंडाणु प्रत्यारोपित नहीं हो पाते तो उन्हें अगले पीरियड (period) के दौरान शरीर से बाहर निकाल किया जाता है।

जब एक निषेचित अंडाणु गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है, तो यह गर्भावस्था हार्मोन को स्रावित करता है। यह हार्मोन गर्भाशय के अस्तर को बहाने से रोकते हैं। यही कारण है कि महिलाएं गर्भवती होने पर पीरियड को प्राप्त नहीं करती हैं।

गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण क्या हैं
बहुत सी महिलाएं गर्भावस्था के प्राम्भिक लक्षणों को नोटिस कर सकती हैं, लेकिन कुछ महिलाओं में इसके कोई लक्षण प्रगट नहीं हो सकते है।

गर्भावस्था के सामान्य संकेतों और लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

पीरिडय मिस होना 
स्तनों में सूजन या संवेदनशील स्तन
मतली या उल्टी आना
थकान महसूस होना
ब्लोटिंग (Bloating)
कब्ज (Constipation) की समस्या
अधिक बार पेशाब जाना, इत्यादि।

कुछ महिलाएं गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षणों को महसूस नहीं कर पाती हैं। तब महिला के गर्भवती होने की स्थिति को सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका गर्भावस्था परीक्षण है। महिलाओ द्वारा होम प्रेगनेंसी टेस्ट भी प्राप्त किया जा सकता है।

जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती कैसे होते हैं –

गर्भवती महिलाएं कुछ स्थितियों में जुड़वा बच्चों को भी जन्म दे सकती हैं। महिलाएं जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती 2 तरीके से हो सकती हैं।

जब पहले से निषेचित अंडाणु 2 अलग-अलग भ्रूणों (embryos) में विभाजित हो जाता है, तब इस स्थिति में एक सामान जुड़वाँ (identical twins) बच्चे पैदा होते हैं। क्योंकि एक समान जुड़वाँ (identical twins) भ्रूणों (embryos) का निर्माण एक समान शुक्राणु और अंडाणु से होता है अर्थात उनके पास एक ही डीएनए होता है। अतः ऐसे जुड़वां बच्चे बिल्कुल एक समान दिखाई देते हैं।
असमान जुड़वाँ (Non-identical twins) बच्चे, जिसे “fraternal twins” भी कहा जाता है, का जन्म तब होता है जब दो अलग-अलग अंडाणु दो अलग-अलग शुक्राणुओं द्वारा निषेचित किये जाते हैं, और दोनों निषेचित अंडाणुओं को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। अतः यह स्थिति तब उत्पन्न हो सकती है जब अंडाशय के द्वारा एक से अधिक अंडाणु मुक्त किये जाए। असमान जुड़वाँ (Non-identical twins) बच्चों का डीएनए पूरी तरह से अलग होती है और एक जैसे प्रतीत नहीं होते हैं।

ओव्यूलेशन की जानकारी कैसे प्राप्त करें –

ओवुलेशन की जानकारी प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका, प्रजनन क्षमता जागरूकता विधि (fertility awareness method) (FAM) का उपयोग करना है। यदि महिलाएं प्रजनन क्षमता जागरूकता विधि (FAM) का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो यह बताना मुश्किल हो सकता है कि वे कब अंडोत्सर्ग (ovulate) करती हैं। ओव्यूलेशन (ovulation) का समय प्रत्येक के लिए अलग-अलग होता है और यह समय प्रत्येक चक्र के दौरान बदल सकता है। ओव्यूलेशन का समय आमतौर पर किशोरी के लिए अनियमित हो सकता है।

गर्भवती होने से सम्बंधित तथ्य –

अंडाशय से एक अंडाणु जारी होने के लगभग 24 घंटों के भीतर ही निषेचित हो सकता है। चूँकि शुक्राणु सेक्स के बाद महिला शरीर के अंदर लगभग 5 से 6 दिनों तक रह जीवित रह सकते हैं। अतः महिलाएं बिना गर्भवती हुए सेक्स तभी कर सकती हैं, जब वे ओवुलेट (ovulate) नहीं करती हैं। ओवुलेट (ovulate) न होने की स्थिति में अंडाशय, अंडाणु की रिहाई नहीं करता हैं, जिससे निषेचन का खतरा नहीं होता है। लेकिन ओवुलेट (ovulate) न होने के बाद भी महिलाये गर्भवती हो सकती हैं, क्योंकि शुक्राणु 6 दिन तक योनि में जीवित रह सकते हैं और इस समय के दौरान अंडाणु की रिहाई गर्भधारण का कारण बन सकती है। लेकिन in सब के बाद भी पीरियड्स के दौरान गर्भवती होने की संभावना बहुत कम होती है।

गर्भकाल का समय –

शब्द “गर्भावधि आयु” मूल रूप से इसका मतलब है कि गर्भावस्था में आप कितनी दूर आ गई हैं। गर्भकालीन आयु की गणना आपके अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन (एलएमपी कहा जाता है) से शुरू होती है।

गर्भकालीन आयु एक प्रकार का भ्रम हो सकता है, क्योंकि यह आपकी पिछली अवधि से गर्भावस्था को मापता है – लगभग 3-4 सप्ताह पहले आप वास्तव में गर्भवती नहीं हैं। गर्भावस्था के बारे में सामान्य ज्ञान कहता है कि यह 9 महीने तक रहती है, और यह सच है कि आप आमतौर पर लगभग 9 महीने तक गर्भवती होती हैं। लेकिन जिस तरह से गर्भावस्था को मापा जाता है वह थोड़ा लंबा हो जाता है। एक पूर्ण अवधि गर्भावस्था 38-42 सप्ताह की होती है जो लगभग 10 महीने होते है।

बहुत से लोग अपने अंतिम मासिक धर्म की सही तारीख को याद नहीं रख सकते हैं – यह पूरी तरह से सामान्य है। आपकी नर्स या डॉक्टर एक अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके गर्भकालीन आयु का पता लगा सकते हैं।

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