संजय जायसवाल, मतलब बस्ती का कुलदीप सेंगर

उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले की रुधौली विधानसभा से विधायक संजय प्रताप जयसवाल और उनाव ज़िले के अपने काले कारनामों और कुकृत्यों के लिए मशहूर कुलदीप सिंह सेंगर, दोनों में बस फ़र्क़ इतना है कि कुलदीप जेल में है और संजय जेल के बाहर। विधायक संजय प्रताप जायसवाल का चाल,चरित्र और चेहरा ही नहीं बाहुबल और अपने चेले-चपाटों के साथ मिलकर किसी महिला को बहला फुसलाकर नौकरी आदि का लालच देकर बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य को कर गुज़रने की आदत भी कुलदीप सिंह सेंगर से मेल खाती है। इसलिए लिखते वक्त तुलना अनायास ही हो जाती है । दरअसल संजय सत्ता पक्ष यानी भाजपा के विधायक तो हैं लेकिन इनकी राजनीति का पालन पोषण कांग्रेस पार्टी से हुआ है इनकी पहली विधायकी कांग्रेसी के रूप में रही फिर 2013 में एक महिला के बलात्कारी के रूप में राजधानी लखनऊ से लेकर प्रदेश भर में अपनी थू-थू करवाने के बाद विधायक रहते हुए कांग्रेस से ही 2014 में बस्ती के लोकसभा के प्रत्याशी भी बने। फिर हार के बाद इन्हें अच्छी तरह समझ आ गया की अपने कुकृत्यों के चलते यह अपनी राजनैतिक ज़मीन खो चुके हैं ।

उसके बाद इन्होंने मोदी लहर को समझा और झट से भाजपा का दामन थाम लिया और फिर मोदी मैजिक के चलते विधायक बन गये। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह रही की भाजपा ने तो इन्हें अपना लिया लेकिन यह मन से भाजपा को कभी अपना ना सके जिसके चलते कई बार विधान सभा में सरकार के ख़िलाफ़ ही सवालों को लिए विधान सभा सदन में पाए जातें हैं । हाल ही में हुए धरने में , जो कि विधान सभा में योगी से नाराज़ विधायकों के द्वारा किया गया था उसका नेत्रत्व करने और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ नारे लगाने में संजय प्रताप सबसे आगे देखे गये। अधिकारियों से लड़ने भिड़ने में यह तनिक भी गुरेज़ नहीं करते लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि विवाद जनहित को लेकर होता है।

असल में विधायक जी बस्ती ज़िले के एक गुंडे क़िस्म के ठेकेदार तेज प्रताप सिंह उर्फ़ सूड्डू सिंह के साथ अघोषित रूप से साझीदार-हिस्सेदार है इसी को काम दिलाने के चक्कर में तत्कालीन ज़िलाधिकारी (20/04/2017 से 01/02/2018) बस्ती अरविंद कुमार सिंह से काफ़ी नोकझोंक की खबरें प्रकाश में आयी, उसके बाद विधायक जी ज़िलाधिकारी सुशील कुमार मौर्य पर भी ठेके, पट्टे, बालू के अवैध खनन को लेकर नाजायज़ दबाव बनाने से बाज नहीं आए। उसके बाद आईएएस राजशेखर से भी बालू के खनन को लेकर संजय प्रताप जयसवाल से खूब तू-तू मैं-मैं  की चर्चा में रही।

तत्कालीन ज़िलाधिकारी राजशेकर का दोष बस इतना था कि विधायक जी के पार्ट्नर सूड्डू सिंह द्वारा किए गये अवैध रूप से बालू के खनन पर उन्होंने कड़ी कार्यवाही की थी जिसकी वसूली अभी तक जारी है उसके बाद में आए ज़िलाधिकारी ने जब जब सरकारी धन की वसूली का प्रयास किया विधायक जी फिर अधिकारियों से उलझते बिगड़ते पाए गये एक एसडीएम को तो इन्होंने ना जाने क्या क्या कर गुजरने की धमकी तक दे डाली । विधायक जी के चरित्र का पूरा काला चिट्ठा राजधानी के हज़रतगंज थाने के क्राइम नम्बर-160/2014 में दफ़ा 376,506,120B में दर्ज है जिसमें एक युवती द्वारा गम्भीर आरोप लगाए गये युवती ने बयान दिया है

कि संजय प्रताप जायसवाल ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उसका बलात्कार किया और यह सब विधायक जी के दारुलसफ़ा के सरकारी आवास में ही अंजाम दिया गया। मुक़दमा अभी भी न्यायालय में चल रहा है लेकिन सोचने वाली बात यह है रसूखदार बाहुबली विधायक पर ऐसे मुक़दमे बिना किसी सच्चाई के थाने से न्यायालय तक नहीं पहुँचते। बीते दो दिन पहले फिर से विधायक जी पूरे बस्ती ज़िले में चर्चा में रहे मामला कुछ यूँ था कि विधायक जी के निर्देश पर विधायक के भाई और गुर्गों ने नगर पालिका की चुंगी की ज़मीन को अवैध रूप से क़ब्ज़े में लेकर उस पर बारात घर बना डाला। फिर मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सरकारी ज़मीन को भूमाफ़ियाओं से मुक्त कराने पहुँची नगर पालिका और ज़िला प्रशासन की टीम पर विधायक जी का हाई वोल्टेज ड्रामा पूरे बस्ती ज़िले ने देखा। लेकिन अगर विधायक का रसूख़ क़ानून से इतना बड़ा हो जाएगा तो ज़िलों के विकास कार्यों को बट्टा ज़रूर लगेगा क्योंकि अगर सत्ता पक्ष के लोग ही सरकारी ज़मीने क़ब्ज़ा करेंगे तो भू-माफिया कौन कहलायेंगे ?

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