श्री सांई बाबा अपने श्रद्धालुओं पर विशेष स्नेह रखते हैं। बाबा से जो भी मांगा जाए वह मिल जाता है। गुरूवार को श्री सांई मंदिरों में विशेषतौर पर श्रद्धालु उमड़ते हैं। बाबा को गुरूवार के दिन विशेषतौर पर पूजा जाता है। दरअसल श्री सांईबाबा को उनके भक्त अपना गुरू भी मानते हैं। बाबा गुरू के तौर पर श्रद्धालुओं पर कृपा करते हैं। श्री सांई बाबा के सद् और अमर वचनों में उन्होंने यह भी कहा है कि त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा। इस तरह से बाबा कई मीलों, किलोमीटरों और अनंत दूरीयों पर मौजूद अपने श्रद्धालु, भक्त और शिष्य पर कृपा करते हैं।
श्रद्धालु उन्हें स्मरण मात्र कर दें तो बाबा भक्त के लिए सहायता करते हैं। श्री सांई का गुरूवार श्रद्धालुओं के लिए बड़ा ही पुण्यदायी है। बाबा का पीला गुरूवार करने से सभी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं। इसके लिए सुबह स्नान आदि करने के बाद बाबा का स्मरण करें। इस दिन पीले परिधान पहनें और पीली वस्तु का दान करें। बाबा के फोटो पर पुष्पमाला चढ़ाऐं या पुष्प चढ़ाकर उनका पूजन करें। फिर बाबा को पीले खाद्य पदार्थ या पीठे तत्व का भोग लगाऐं। श्री सांई बाबा और श्री दत्तात्रेय की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करें और एक समय भोजन कर बाबा का स्मरण करें।
प्रसाद भोजन के समय भी लिया जा सकता है। इस तरह से अपना व्रत पूर्ण करें। यदि संभव हो तो श्री सांई बाबा के मंदिर में दर्शन करें और श्री सांई बाबा की धुनि मिल सके तो उसकी परिक्रमा करें। बाबा प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करते हैं। गुरूवार के इस व्रत में गरीब को यह पीला पदार्थ दान भी करें साथ ही उसे भोजन या फिर खाने के लिए कुछ दें। बाबा अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं।
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