श्रावण मास के पहले सोमवार के साथ हरिद्वार में कांवड़ यात्रा शुरू

उत्तराखंड में श्रावण मास के पहले सोमवार के साथ-साथ हरिद्वार में कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है, जहां लाखों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार पहुंचकर कांवड़ में जल भर कर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं। वहीं सोमवार को शिव मंदिरों में भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवालयों में जलाभिषेक किया।

सोमवार सुबह से ही मंदिरों में लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी हरिद्वार में हर हर महादेव बम बम भोले के जय घोष से तीर्थ नगरी गुंजन मन हो रही थी। जहां सावन के पहले सोमवार को देखते हुए शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही और शिव मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया था। कांवड़ मेल को देखते हुए यहां प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। हरिद्वार को 126 सेक्टरों व 14 सुपर जोन में बांट कर मेले की व्यवस्थाएं की गई है। कांवड़ यात्रा मार्ग में 21 अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं तथा एंबुलेंस भी तैनात की गई है। इसके अलावा निजी अस्पतालो में भी कांवड़ियों के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं।

दक्षेश्वर महादेव के मुख्य पुजारी स्वामी विश्वेश्वर पूरी का कहना है कि आज श्रावण मास का पहला सोमवार है अत: दक्षेश्वर महादेव में भारी संख्या में लोग जलाभिषेक कर रहे हैं। वहीं कावड़ यात्रा शुरू होने से लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री अपनी कावड़ में जल भरकर गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं और अपने-अपने गंतव्य पर जाकर अपने अभीष्ट शिवालय में जलाभिषेक करेंगे। वहीं कांवड़ियों का कहना है कि वह यहां पर अपनी मनोकामना लेकर जल भरने यहां आए हैं। हरिद्वार से जल भरकर शिवालयों में चढ़ाने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

उन्होंने सर्व मंगल की कामना के साथ शिवालयों में जलाभिषेक किया और पूरे विश्व के कल्याण की प्रार्थना की साथ ही उन्होंने कांवड़ मेले में प्रशासन के सभी इंतजामों की भी जमकर तारीफ की। वहीं गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से आज सावन शुरू हो गया है। सावन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन पहला सोमवार है। कई वर्षों बाद यह संयोग बना है कि सावन का पहला सोमवार सावन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन यानि सावन मास के पहले दिन पड़ा है।

मान्यता के अनुसार, सावन के पहले सोमवार के दिन दक्षेश्वर महादेव मंदिर कनखल में भगवान शिव कैलाश पर्वत से प्रस्थान कर यहां पर पहुंचते है और उनका पारंपरिक तरीके से लोगों ने दक्षेश्वर महादेव के शिवलिंग पर दूध दही फल फूल बेल पत्री अक्षत तिल गंगाजल चढ़कर उनका पूजन किया मान्यता है कि भगवान शिव अपने ससुराल कनखल में सावन के एक महीने में रहेंगे और अपने भक्तों का कल्याण करेंगे।

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