सावन ( Sawan Somvar 2025 Upay) का महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इस अवसर पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। साथ ही भक्ति भाव से शिवजी की आराधना की जाती है। भगवान शिव की पूजा से जीवन में सुखों का संचार होता है।
सावन का पावन महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर जल अर्पण करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं।
सावन के प्रत्येक दिन, विशेष रूप से सावन सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, और सोमवार व्रत के दिन जलाभिषेक करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। लेकिन शिव जी (Lord Shiva Jalabhishek Niyam) को जल चढ़ाने के भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है।
यदि इन्हें अनजाने में भी अनदेखा किया जाए, तो पूजा का प्रभाव कम हो सकता है। हालांकि, भगवान शिव तो भक्तों के भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं वे सच्चे मन से की गई पूजा को ही स्वीकार करते हैं। परंतु अपनी पूजा को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए जानते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका
स्वच्छता और संकल्प से करें शुरुआत
जिस दिन आप जल चढ़ाना चाहें, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और शुद्ध मन से भगवान शिव का स्मरण करें। एक लोटे में गंगाजल या साफ जल भरें और उसमें थोड़े से अक्षत (चावल), चंदन, फूल आदि डालें।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही विधान (Lord Shiva Puja Vidhi)
अब शिव मंदिर या घर के पूजन स्थान में शिवलिंग के पास जाएं। ईशान कोण (उत्तर- पूर्व दिशा) या पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों। तांबे पीतल या चांदी के लौटे में जल लेकर सबसे पहले के शिवलिंग दाएं और जल चढ़ाएं जो गणेश जी का स्थान है।
अब शिवलिंग के बाई और जल (Sawan Shiv Puja 2025) चढ़ायें जो कि भगवान कार्तिकेय का स्थान है। इसके बाद शिवलिंग के बीच में जल चढ़ाएं जो कि अशोक सुंदरी का स्थान माना जाता है। उसके बाद शिवलिंग के गोलाकार हिस्से पर जल चढ़ाएं जो की माता पार्वती के हाथों के समान माना जाता है। अंत में शिवलिंग पर जल चढ़ाएं जो कि स्वंय भगवान शिव का प्रतीक है।
“ॐ नमः शिवाय” का जाप करें
जल अर्पण करते समय सच्चे मन से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें। इससे मन की एकाग्रता बनी रहती है और शिव कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
जलाभिषेक के लिए सही समय (Sawan Somvar Puja Vidhi 2025)
ब्रह्म मुहूर्त
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त माना गया है, जो सूर्योदय से लगभग डेढ़ से दो घंटे पहले होता है। यह समय आत्मशुद्धि, ध्यान और ईश्वर साधना के लिए अत्यंत पवित्र होता है।
प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे तक)
यदि ब्रह्म मुहूर्त में न हो सके तो प्रातः 4 से 6 बजे के बीच जलाभिषेक करें। यह समय शरीर, मन और वातावरण – तीनों के शुद्ध होने का होता है।
प्रातः 7:00 से 11:00 बजे तक
यह समय भी शिव पूजन और जलाभिषेक के लिए शुभ माना गया है। यदि आप जल्दी नहीं उठ पाते हैं, तो श्रद्धा और नियमपूर्वक सुबह 7 से 11 बजे के बीच भी जल चढ़ाया जा सकता है। इस समय की गई पूजा भी भगवान शिव () को प्रिय होती है, यदि वह भक्ति और भावना से की जाए।
किस समय जल न चढ़ाएं?
रात्रि के समय (सूर्यास्त के बाद) शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए, विशेषकर बिना मंत्र के या बिना दीप जलाए।
दोपहर के समय शिव पूजन व जलाभिषेक कम फलदायी माना जाता है, जब तक विशेष तिथि या व्रत न हो।
सार
सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiva Jalabhishek Time) को प्रसन्न करने का विशेष अवसर होता है। अगर आप नियम और श्रद्धा के साथ शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो भोलेनाथ जरूर आपकी भक्ति से प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, शांति और शुभ फल प्रदान करते हैं। बस भावनाओं में सच्चाई हो और विधि में सरलता महादेव स्वयं सबका कल्याण करते हैं।